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पाक का झूठ:अपने ही चक्रव्यूह में फंसा पाकिस्तान, पंजाब पुलिस की फायरिंग से उसका टूलकिट 'टीएलपी' हुआ आत्मघाती! Tahalka Samvad

Tahalka Samvaad

 पाक का झूठ:अपने ही चक्रव्यूह में फंसा पाकिस्तान, पंजाब पुलिस की फायरिंग से उसका टूलकिट 'टीएलपी' हुआ आत्मघाती! 

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-तहरीके लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) का कनेक्शन है यूपी के बरेलवी फिरका यानी संप्रदाय से,भारत के विरोध के लिए बनाया गया यह संगठन दरअसल पाक सेना का 'टूलकिट' हैl इसका प्रयोग इजराइल- हमास शांति समझौते के दरम्यान करने पर यह बन गया उसी देश के लिए आत्मघाती: स्वामी चिन्मयानंद

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कैलाश सिंह



(राजनीतिक संपादक)

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दिल्ली/शाहजहाँपुर/लखनऊ, (तहलका न्यूज नेटवर्क)l कहावत है झूठ बोलने वाला एक दिन अपने ही मकड़जाल में ऐसा फंसता है कि उससे न उगलते बनता है और न ही निगलतेl यही हाल इन दिनों पाकिस्तान का हो चला हैl वह चला था 'मिडिल ईष्ट' खासकर 'मुस्लिम दुनिया' का नेता बनने और फंस गया अपने ही देश के गृह युद्ध मेंl उसकी रची गई झूठ की कहानी के अनुसार 'तहरीके लब्बैक पाकिस्तान' (टीएलपी) नामक टूलकिट सही रास्ते पर तो चल रहा था लेकिन इस ड्रामे की थीम तब बदल गई जब पाकिस्तान की पंजाब पुलिस ने फायरिंग शुरू कर दीl जाहिर है इस ड्रामे में पुलिस को रोल नहीं दिया गया था तो उसे लगा कि यह उपद्रवी कहीं फ़िर अमेरिकी दूतावास न फूंक देंl क्योंकि एक बार जनरल जियाउल हक के समय में ऐसा हो चुका थाl खैर, पुलिस की गोली चली तो पाक सेना के 'टूलकिट -टीएलपी' के सैकड़ों सदस्य मारे जाते देख संगठन बौखला गयाl यहीं से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के सामने 'पाक के झूठ' का पर्दाफाश होने लगाl.  


दरअसल अमेरिका ने ईरान को दरकिनार करके पाकिस्तान को 'मुस्लिम दुनिया' का नेता बनाने का लालच दिया और खुद अर्थ मिनरल्स आदि की ट्रेड डील कर लीl ऐसा कूटनीतिक विशेषज्ञ मानते हैंl इसी के तहत इजराइल- हमास के बीच शांति वार्ता चल रही थीl उसी क्रम में बीते रविवार 12 अक्टूबर को डोनाल्ड ट्रम्प की मौजूदगी में बंधकों की रिहाई के साथ दोनों देशों के बीच समझौता परवान चढ़ने लगा और फिलिस्तीन में इसे लेकर खुशी की लहर दौड़ पड़ी कि चलो मारकाट से पीछा छूटेगा, लेकिन हमास अपनी सैन्य शक्ति दुनिया के सामने समाप्त होते नहीं पचा पा रहा हैl इस शांति समझौते में इजराइल को मान्यता देने को अमेरिका ने पाकिस्तान को आगे किया था, जो हमास को नागवार गुजरने लगाl तब पाकिस्तान के सर्वेसर्वा असीम मुनीर ने अपने टूलकिट 'टीएलपी' को विरोध प्रदर्शन के लिए मैदान में उतार दिया, ताकि अमेरिकी दबाव कम हो और हमास भी नाराज न हो, लेकिन हुआ इसका उल्टाl पंजाब पुलिस को इस ड्रामे से अनभिज्ञ थी, लिहाजा उसकी फायरिंग से वही टूलकिट अब आत्मघाती हो गया है, क्योंकि उसके सैकड़ों लोग मारे गए तो उनका बौखलाना लाज़िमी थाl.   


दूसरी तरफ इसी दौरान एक हफ़्ते के दौरे पर अफ़ग़ानिस्तान के विदेश मंत्री भारत आये और देवबंदी फिरके (संप्रदाय) से तआल्लुक रखने के चलते वह देवबन्द के मरकज़ भी गएl यह बात पाकिस्तानी जनरल आसिम मुनीर को नागवार लगी और उसने अफ़ग़ानिस्तान पर एअर स्ट्राइक कर दी तो तालिबानी लड़ाकों ने पाक सैनिकों को 'पहट' लियाl दो दर्जन चौकियों पर कब्जा कर लिया और भागती पाक सेना बलूचों के हत्थे चढ़ने लगीl इस तरह पाकिस्तान एक प्रकार से भयानक गृह युद्ध में घिर गयाl


 इधर अफ़ग़ानी विदेश मंत्री ने भारत की धरती से बयान दे दिया कि हम दुनिया के हर देश से अमन शांति चाहते हैंl यही उम्मीद पाकिस्तान से भी थी लेकिन उसने हमें कम करके आँका तो उसे भुगतना ही पड़ेगाl कहा कि जब दो दशक तक अमेरिका और उससे पूर्व सोवियत रूस हम पर शासन नहीं कर सका तो पाक की क्या बिसात हैl इधर भारत ने भी अफ़ग़ानिस्तान में दूतावास खोलने पर सहमति दे दी है जो पाक के लिए कटे पर नमक छिड़कने सरीखा साबित हुआl इस तरह पाकिस्तान न घर का रहा न घाट का


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मुस्लिम समुदाय में फिरकों का असर: भारत के पूर्व केंद्रीय गृह राज्य मन्त्री स्वामी चिन्मयानंद ने 'तहलका संवाद' से हुई बातचीत में बताया कि 'तहरीके लब्बैक पाकिस्तान' यानी टीएलपी का गठन वहां की सेना और आईएसआई द्वारा टूलकिट के रूप में किया गया, जैसे अन्य नयी संस्थाओं को वहां की सेना आगे लाती रहती हैl उन्होंने इस संस्था के बारे में भारत की 'नेशनल सिक्योरिटी कौंसिल' की पूर्व निदेशक और सुरक्षा व रणनीतिक मामलों की जानकार ''तारा कार्था'' के हवाले से बतायाl तारा कार्था के मुताबिक- तहरीके लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) को अलकायदा के विकल्प के तौर पर वहां की सेना ने बनायाl पहली बार यह संगठन तब चर्चा में आया जब 2017 में पाकिस्तान के पीएम नवाज़ शरीफ़ और भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी दोनों देशों में शांति की पहल पर एकमत होने लगेl

 गौरतलब है कि पाकिस्तान में चुने गए प्रतिनिधि या नेताओं का सरकार पर कोई नियंत्रण नहीं होताl वहां की सरकार सेना ही आईएसआई के जरिये चलाती रही हैl ऐसे में मोदी के साथ नवाज़ शरीफ़ के शांति की पहल वहां की सेना को कैसे भाती! भारत से सम्बन्ध सुधारने की पहल आसिम मुनीर को पसन्द नहीं आईl यह संगठन बरेलवी फिरका (संप्रदाय) का माना जाता हैl बरेलवी संप्रदाय से जुड़े खादिम रिजवी को 'तहरीके लब्बैक पाकिस्तान' का नेता बना दिया गया l वर्ष 2017 में पहली बार इस संगठन को तत्कालीन पाक पीएम नवाज़ शरीफ़ के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के लिए सड़क पर उतारा गयाl उसी दौरान नवम्बर 2017 में पाक के कानून मंत्री जाहिद हमीद को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा l इस संगठन पर प्रतिबन्ध तब लगाया गया जब टीएलपी नेता खादिम रिजवी की रहस्यमय ढंग से मौत हो गई l हालांकि यह प्रतिबन्ध छह महीने में ही हट गया l इसके लिए 'आतंकवादी संगठन एलटीपी' और पाकिस्तान सेना के तत्कालीन प्रमुख 'जनरल बाजवा' के बीच गुप्त समझौता हुआl इसके बाद खालिद के बेटे 'साद रिजवी' को तहरीके लब्बैक पाकिस्तान का नेता बना दिया गयाl 

वर्ष 2018 में पाकिस्तान के आम चुनाव में इसी सनगठन ने नवाज़ शरीफ़ की पार्टी का बहुत नुकसान किया और वह सत्ता से बाहर हो गए और सत्तासीन हो गए इमरान खानl वर्ष 2022 में पाक सेना और पीएम इमरान में ठन गईl सेना ने पीएम इमरान खान के खिलाफ फ़िर इसी टूलकिट 'टीएलपी' को विरोध प्रदर्शन के लिए सड़क पर उतार दियाl एक महीने में इमरान खान की सरकार चली गई l इसके बाद 2023 में इस इस संस्था को राजनीतिक संगठन के रूप में मान्यता दे दी गई l इस तरह यह संगठन 2024 में चुनाव के लिए तैयार हो गयाl

इस मामले में ''तारा कार्था'' लिखती हैं कि डोनाल्ड ट्रम्प के साथ 'भोजन' की एक कीमत होती है, जिसे भोजन करने वाले को किसी भी रूप में चुकानी पड़ती हैl असीम मुनीर तो दो बार अपने मुखौटे पीएम व सहयोगियों के साथ भोजन कर लिएl अमेरिका चाहता है कि पाकिस्तान 'इजराइल- हमास' के बीच शांति समझौता पर अपनी सहमति यानी इजराइल को मान्यता देl इस बीच ट्रम्प ने पाकिस्तान को एक और पुरस्कार सऊदी अरब से डिफेंस डील कराके दे दीl इसके तहत दोनों देशों में किसी एक पर हमला दोनों पर माना जाएगाl 

दूसरी ओर हमास की सैन्य शक्ति  के अस्तित्व मिटने को लेकर मुस्लिम संगठनों में हंगामा शुरू हो गयाl इसके नेतृत्व की कमान 'जमाते इस्लामी' ने संभाल ली l इधर पाक सेना ने टीएलपी को मुरादके में उतार दिया ताकि अमेरिकी दबाव कम हो जाए और पाकिस्तान को हमास का भी पक्षधर माना जाए l यहीं आकर उसका 'झूठा ड्रामा' फेल हो गया l अब पाक 'गाजा समझौता' पर सहमति देता है तो तमाम मुस्लिम संगठन विरोध में होंगे और पीछे हटा तो अमेरिका की नाराजगी झेलनी पड़ेगीl 

स्वामी चिन्मयानंद कहते हैं कि इस तरह जहां पाकिस्तान 'मुस्लिम दुनिया' यानी देशों का खलीफा बनने का सपना संजोये था वह उसके ही देश के सभी प्रांतों में जारी गृह युद्ध में कुचला जा रहा हैl

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