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हैरतअंगेज़: जौनपुर में विधान सभा क्षेत्र नौ, पर माननीय हैं दस!

Tahalka Samvaad

कौशांबी के सिराथू की अपना दल (कमेरावादी) की विधायक डा पल्लवी पटेल ने जौनपुर की नौकरशाही को प्रोटोकाल का पाठ पढ़ाया। अपना दल के संस्थापक सदस्य रहे दिवंगत जगदीश सिंह पटेल के परिजनों के साथ हुई दबंगई के मामले में समुचित कार्रवाई के लिए पुलिस- प्रशासन को दिया 48 घंटे का अल्टीमेटम।

कैलाश सिंह, राजनीतिक संपादक

लखनऊ/जौनपुर (तहलका न्यूज नेटवर्क)। उत्तर प्रदेश के तमाम जिलों के विभिन्न विधान सभा क्षेत्रों से निर्वाचित विधायकों व अन्य माननीयों की शिकायत गाहे- ब- गाहे पिछले तीन साल से मीडिया की सुर्खियां बनती रही हैं कि उनकी कोई बात नौकरशाही यानी जिलों से लेकर प्रदेश की राजधानी तक के अफ़सर नहीं सुनते हैं। यह दुखड़ा  विपक्षी दलों का नहीं, बल्कि सत्ताधारी दल भाजपा के माननीयों का है। 'उनके मुताबिक जब वह अपने कार्यकर्ताओं के जरिये जनता की समस्या का निस्तारण नहीं करा पाते हैं तो क्षेत्र में हमें कार्यकर्ताओं के साथ आमजन की भी नाराजगी झेलनी पड़ती है। सीएम योगी आदित्यनाथ से कहो तो वह भ्रष्ट अफसरों के खिलाफ सुबूत मांगते हैं।' अब यह सुबूत वह कैसे लाएं! क्योंकि 'भ्रष्टाचार की गंगोत्री' में अधिकतर कथित माननीयों की नाव का चप्पू भी वही नौकरशाही ही चलाती है, जिसमें दोनों का रिश्ता 'चोली- दामन' सरीखा होता है।

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दरअसल योगी- 2 सरकार में नौकरशाही को मिली छूट का खामियाज़ा पब्लिक ही भुगत रही है। ब्लाक और पुलिस चौकियों से लेकर जिला मुख्यालयों तक कोई भी कार्य बग़ैर हथेली गरम किये नहीं होता है,आमजन में यह चर्चा 'आम' है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ईमानदार व सख्त हैं यह सभी मानते हैं, लेकिन इसका फायदा आमजन को नहीं मिल रहा है, दूसरी तरफ सीएम पर 'ठाकुरवाद' के आरोप की बेल भी उन्हीं की कैबिनेट से निकलकर बाहर आती रही है, जबकि उनकी सरकार में वर्तमान नौकरशाही पर नज़र डालें तो पिछड़ों की ही संख्या ज्यादा मिलेगी। 

विस क्षेत्र नौ,माननीय दस!: जौनपुर में वर्ष 2012 में हुए परिसीमन के बाद एक विस क्षेत्र घट कर नौ रह गया और कई के नाम बदल गए, फ़िर भी पिछले छह माह से 'एक कथित नौकरशाह का नाम दसवें माननीय' के रूप में गूंज रहा है। चर्चाओं के बाज़ार में यह कथित नौकरशाह टोपीबाज के रूप में भी कुख्यात होता जा रहा है। ज़ुबान और एक्टिंग के धनी इस अफ़सर को 'फीलगुड अधिकारी' का भी तमगा कथित रूप से मिल गया है। विगत दिनों हुई 'मौत की बारिश' में प्राची समेत तीन की जान खम्भे के करंट से चली गई, लेकिन कोई भी माननीय प्राची के परिजनों की मांग पूरी नहीं कर सका। यहां तक कि कथित दसवें माननीय भी बेबसी जताते रहे। संयोग से पिछले हफ़्ते जिले के प्रभारी, ऊर्जा और नगर निकाय मंत्री ए के शर्मा भी जनपद में दौरे पर आये, जब मीडिया के लोगों ने उनसे सवाल किया कि तीन मौतों के असली जिम्मेदार क्यों बचे हैं? उनके बदले छोटे कर्मियों पर सामान्य कार्यवाही करके मामले को क्यों दबाया जा रहा है? उनके खिलाफ एफआईआर क्यों नहीं हो रही है? यही मांग प्राची के परिजनों की भी है। प्रभारी मन्त्री आश्वासन की चासनी में जवाब को लपेटकर निकल लिए तो उनकी कमान डीएम ने संभाल ली।

कथित दस माननीयों पर भारी पड़ीं डा पल्लवी पटेल:तारीख 21 सितम्बर 2025, दिन रविवार, स्थान वाराणसी- लखनऊ मार्ग स्थित मातापुर लाइन बाज़ार। दिन में डेढ बजे जब अचानक कौशांबी जिले के सिराथू की विधायक डा पल्लवी पटेल पहुंचीं तो 'पटेल बहुल' इस इलाके के लोगों में जोश और आत्म विश्वास बढ़ गया। उन्होंने जिले के एस पी को उनके पीआरओ के जरिये पांच मिनट में 'काल बैक' करने का निर्देश दिया, इससे पूर्व पीआरओ को उसकी गलती पर डपटा भी, इस बीच लाइन बाज़ार के 'कैप विहीन एसएचओ' और तहसीलदार को भी प्रोटोकाल का पाठ पढाया, इसके बाद जगदीश सिंह पटेल के परिजनों पर कहर बरपाने वाले दबंगों व अराजक तत्वों के खिलाफ कड़े कदम न उठाए जाने पर नाराजगी के साथ कड़ी फटकार लगाई। एस पी का फोन आने पर उन्हें भी इस मामले में सख्त कदम उठाने के लिए 48 घंटे का समय दिया। उनके जाने के बाद इलाके के लोग यही कहते सुने गए कि जिले का कोई भी नेता इस तरह पीड़ित के पक्ष में नहीं आया।

Kailash Singh Political Editor
कैलाश सिंह, राजनीतिक संपादक

घटी 'जीएसटी' दर को लेकर पहले दिन बाजारों में फैला रहा भ्रम: प्रधानमन्त्री की घोषणा के बाद नवरात्र के पहले दिन 22 सितम्बर से घटी जीएसटी दर को लेकर ग्राहकों और दुकानदारों के बीच खाद्य पदार्थों, दवाओं, सर्राफा, कपड़ों आदि पर टैक्स में छूट के मुद्दे पर खूब बहस हुई। पब्लिक छूट मांग रही थी और खुदरा विक्रेता यह समझा रहे थे कि नया सामान आने पर ही हम छूट दे पाएंगे। क्योंकि पुराने सामान पर हम जीएसटी भर चुके हैं। दूसरी तरफ बहुतेरे अधिक्रित थोक विक्रेता फुटकर दुकानदारों से उनका मुनाफा घटाकर अपना गल्ला भरने से नहीं चूक रहे थे। अब सवाल है कि आमजन तक यह लाभ कब और कैसे पहुंचेगा? इतना तो तय है कि जीएसटी का लाभ पब्लिक को रिटेलर से ही मिलेगा।,,,,,, क्रमशः

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