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गोल्ड माफिया : कीर्तिकुंज ज्वेलर्स के खिलाफ चार्जशीट उलझी, आरोपी 'माननीयों' की परिक्रमा में लगा!

Tahalka Samvaad


कथित गोल्ड माफिया के विरुद्ध शहर कोतवाली में 31 मई को ठगी के शिकार हुए हिमांशु मिश्र की तहरीर पर कई धाराओं में दर्ज हुआ था मुकदमा, पीड़ित का आरोप था कि फरवरी माह में 4.64 लाख के जेवर को बदलने की बजाय सर्राफा के शो रूम से उन्हें धमकी देकर भगाया गया।

कैलाश सिंह, विशेष संवाददाता

जौनपुर/लखनऊ (तहलका न्यूज नेटवर्क)। कथित गोल्ड माफिया ने ठगी और चांदी की तस्करी के जरिए फेरी और खोमचे से की थी शुरुआत, अब जौनपुर और मुंबई में बड़े ज्वेलरी के शो रूम खोल लिया, इतना ही नहीं, वह इसी के बलपर सुल्तानपुर समेत पूर्वांचल के कई जिलों में कार की एजेंसी और वर्कशॉप भी संचालित कर रहा है, लेकिन तत्कालीन शहर कोतवाल मिथिलेश मिश्र ने उपरी दबाव को दरकिनार करते हुए उसके खिलाफ मुकदमा कायम कर लिया था। सूत्रों के मुताबिक उनके तबादले के बाद नये कोतवाल और विवेचक को प्रभाव में लेकर उसने मामले में लीपापोती की कोशिश की थी, लेकिन पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर कोतवाली पुलिस ने चार्जशीट तैयार कर सीओ सिटी के यहां दाखिल कर दी थी जो लौटकर फ़िर कोतवाली पहुँच गई। 

दरअसल जिस कथित गोल्ड माफिया को पुलिस ने बीमार और चेन्नई के एक अस्पताल में भर्ती बताकर उसकी गिरफ्तारी के नैतिक दबाव को कम किया था, वह बहाना भी समाप्त हो गया है क्योंकि कथित गोल्ड माफिया जिले के 'माननीयों की दर पर भटक रहा है, यह उपाय भी उसे पुलिस और उसके एक कथित नौकरशाह रहे सम्बन्धी ने बताए हैं। गत 14 सितंबर को एक ताकतवर मनानीय से मुलाकात के लिए उसने करीब डेढ घंटे इंतजार किया, संयोग से इसका गवाह हमारी टीम के मेम्बर भी रहे। चर्चा के दौरान कुछ लोगों की टिप्पणी थी कि यदि यह ठगी का धंधा छोड़कर ग्राहकों के साथ ईमानदारी करता तो ऐसे झंझट में न पड़ता। एक अन्य ने कहा कि यदि माफिया मुख्तार या बजरंगी जिन्दा होते तो यह नौबत न आती। उनके बचे गुर्गे हफ़्ता तो लेते हैं लेकिन संरक्षण नहीं दे पा रहे।

कोई नहीं टंच कराता नाक की कील: लोगों को यह भी कहते सुना गया कि आमजन तमाम जेवर लेते हैं लेकिन नाक की कील और पायल कभी नहीं जांचते- परखते हैं, यदि इनकी जांच कराई जाए तो बड़े झोल निकलेंगे। खैर आरोपी कथित गोल्ड माफिया तो इसी झोल से फेरी के बलपर आगे बढ़ा और अब कई बड़े शो- रूम का मालिक बन बैठा है। विदित हो कि बीते 31 मई को कलीचाबाद कुल्हनामऊ निवासी हिमांशु मिश्र ने कीर्तिकुंज ज्वेलर के शो रूम से विगत फरवरी महीने में 4 लाख 64 हजार में एक हार खरीदा था जिसपर 'एचयूआईडी' नम्बर ही नहीं अंकित था। घर की महिलाओं की पहल पर उन्होंने दूसरी दूकान पर जब टंच कराया तो माल खोटा निकला, इसे लेकर वह जब शो रूम पर पहुंचे तो सर्राफा ने अपने स्टाफ के जरिए खुद की मशीन से नम्बर छापकर 'हार' उन्हें फ़िर लौटा दिया, जब घर पर उसी नम्बर से सर्च किया गया तो वह एचयूआईडी 'बाली' की निकली और उसका मूल स्थान हरियाणा का बताने लगा।

इसके बाद हिमांशु फिर कीर्तिकुंज ज्वेलर के पास पहुंचे तो उसने धमका कर भगा दिया। इस समूची प्रक्रिया में लगभग चार माह गुजरने को हुए तो धमकाने वाले दिन 31 मई को वह शहर कोतवाली पहुंचे। उन्होंने तहरीर दी जिसके आधार पर कई धाराओं में 'एफआईआर' कीर्तिकुंज के खिलाफ दर्ज हो गई। हालांकि कोतवाल पर दबाव दिया गया कि वह एक हफ़्ते तक रिपोर्ट न लिखें इस बीच मामला मैनेज हो जाएगा, फ़िर भी कोतवाल ने दबाव को परे कर मुकदमा दर्ज कर लिया। बाद में कोतवाल का तबादला 112 डायल मोबाइल यूनिट प्रभारी के तौर पर हो गया तब फ़िर कथित गोल्ड माफिया ने जोर लगाया कि चार्जशीट न दाखिल हो पाए और मामले को नये कोतवाल और विवेचक को मिलाकर लीपापोती करा दिया जाए, लेकिन एसपी ने सख्ती बरती और कहा कि जल्द ही चार्जशीट दाखिल होनी चाहिए। इस तरह कथित गोल्ड माफिया फंसा हुआ है। अब वह माननीयों से मिलने को उनकी दरों पर गणेश परिक्रमा कर रहा है। 

इधर पुलिस भी माननीयों के 'लेटरपैड रूपी कवच' को पहनकर पब्लिक से अपना गला बचाने में जुटी है। उसे बताया गया है कि माननीयों से लिखित सिफारिश कराओ ताकि पुलिस भी इल्जाम से बची रहे, रहा सवाल पीड़ित पक्ष का तो उसे पैसे के बल पर मैनेज करना आसान होगा। इस तरह अब यह खेल लाखों से बढ़कर करोड़ों तक पहुँच रहा है।,,,, क्रमशः

Kailash Singh Political Editor
कैलाश सिंह, राजनीतिक संपादक

कप्तान की नज़र से ओझल हैं शाहगंज कोतवाल व विवेचक! 

तीन जुलाई 2024 को खेतसाराय थाना क्षेत्र की नवविवाहिता की तहरीर पर एक ठग के खिलाफ आनलाइन ठगी का मुकदमा दर्ज हुआ और आज एक साल बाद भी इस मामले में चार्जशीट दाखिल नहीं हुई। तब थाना प्रभारी दीपेंद्र सिंह थे जिनकी पहल पर विवेचना शाहगंज कोतवाली में भेजी गई, इसके कुछ महीने बाद थाना प्रभारी को कोतवाली का प्रभारी बना दिया गया, इसके बावजूद 13 महीने गुजर गए और चार्जशीट अभी तक अधर में लटकी है। इस बीच पीड़ित युवती और उसके पति समेत अभिभावकों तक आरोपी की तरफ़ से बदनाम करने की धमकी आती रही है जिसे सुबूत के तौर पर थाना पुलिस के पास जमा कराया गया। उसने यह भी धमकी दी थी कि पुलिस मेरा कुछ नहीं बिगाड़ेगी क्योंकि हम उसे हफ्ता जो देते हैं। पीड़ित युवती ने पुलिस की मिलीभगत की शिकायत राष्ट्रीय महिला आयोग में की तो वहां से पूछे जाने पर आश्वासन दिया गया कि शीघ्र ही आरोपी जेल में होगा और ठगी की रकम वापस भी होगी लेकिन यहां तो चार्जशीट ही अधर में लटकी है। क्रमशः...

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