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यूपी दंगा: मोदी का तख्ता पलटने की मंशा रखने वाले योगी के 'राडार' पर आकर फंस गए!

Tahalka Samvaad

मुट्ठी भर लोगों के अगुआ तौकीर रजा जैसे लोगों ने 'लव जेहाद के एक्सपोज होने के बाद धर्म से जोड़कर आई लव मोहम्मद' के नए स्लोगन को बनाया हथियार : स्वामी चिन्मयानंद

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कैलाश सिंह, राजनीतिक संपादक

लखनऊ/ शाहजहांपुर/बरेली, (तहलका न्यूज नेटवर्क)। बीते शुक्रवार को जुमे की नमाज़ के बाद यूपी के बरेली में हुए दंगा के पीछे जिस कथित मौलाना तौकीर रजा को गिरफ़्तार किया गया ऐसा उसके साथ पहली बार हुआ है कि वह अबकी लम्बा जेल गया है। इससे पहले भी दो बार गिरफ्तार हुआ था लेकिन अपने रसूख से बच गया था। पिछली सरकारों में यही पुलिस- प्रशासन उसकी ड्योढ़ी पर हाजिरी लगाता था, क्योंकि सत्ता उसके आगे नतमस्तक जो थी। वर्ष 2010 के मार्च महीने में हुए बरेली के दंगे का 'मास्टर माइंड' यही तौकीर रजा था। हफ़्तों चले कर्फ्यू के चलते आम जन -जीवन बाधित रहा, तब मैं भी एक अखबार में वहीं पोस्टेड था। मीडियाकर भी खबरों को पानी सरीखे छानकर छापते थे, इतना ही नहीं, अफसर भी बयान देने से कतराते थे, क्योंकि शासन कमजोर था। आज योगी ने जब बयान दिया कि ऐसे मौलाना शायद भूल गए कि 'यूपी में योगी का शासन है, जो जैसे मानेगा हम उसे वैसे ही ठीक करेंगे। ऐसे लोगों की डेंटिग- पेंटिंग ऐसी होगी कि सात पुश्तें भी दंगे करने से सहमेंगी।' यानी यह कथित मौलाना 14 दिन की न्यायिक हिरासत में अपने तमाम सहयोगी उपद्रवियों के साथ जेल चला गया।

दरअसल महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश के कानपुर, बरेली, मऊ में हुए दंगे या उपद्रव हों या लेह लददाख में 'जेन जी' (युवा यानी 18 से 28 वर्ष आयु वाले) के नाम पर हुए बवाल की जड़ में अमेरिकी 'डीप इस्टेट' का हाथ माना जा रहा है। खुफिया एजेंसियां तो लेह लद्दाख में सोनम वांगचुग के तार चीन से जुड़ा होना मान रही हैं। इसकी पुष्टि जांच के बाद ही होगी लेकिन देश के विभिन्न हिस्सों में 'आई लव मोहम्मद' के नाम पर हो रहे उपद्रव में वोट की राजनीति करने वालों का हाथ होने से इनकार नहीं किया जा सकता है।

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इस मामले में देश के पूर्व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री स्वामी चिन्मयानंद  ने शाहजहांपुर के अपने मुमुक्षु आश्रम में 'तहलका संवाद' से हुई तफ़्सील से बातचीत में साफ़ तौर पर कहा कि भारत में नरेंद्र मोदी का तख्ता पलट करने की मंशा रखने वाले ही देशभर के विभिन्न शहरों में ये प्रायोजित उपद्रव कर रहे हैं। फ़िर भी मोदी को हटाना असम्भव है। उन्होंने कहा कि मोदी के नेतृत्व में भारत 'सामरिक, आर्थिक ताकत और अब आत्म निर्भरता' की तरफ़ अग्रसर है जो विदेशी ताकतों खासकर अमेरिकी 'डीप इस्टेट' को कतई पसन्द नहीं है। इन्हीं ताकतों से भारत के कुछ राजनीतिक दलों के कथित नेताओं के तार जुड़े हैं। इनके लिए फ़ंडिंग भी वहीं से होती है। उन्होंने कहा कि सोनम वांगचुग जम्मू कश्मीर में 2019 से पूर्व राज करने वाले दोनों परिवारों की तरह चीनी एजेंट के रूप में काम करने लगे थे, उनके खिलाफ हो रही जांच में स्थिति और स्पष्ट हो जाएगी।

स्वामी चिन्मयानंद महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों और शहरों में हो रहे उपद्रव और दंगों को भी विदेशी ताकतों की योजना का ही हिस्सा मानते हैं। उनका कहना है कि जिस तरह पहले श्रीलंका फ़िर बांग्लादेश में छात्रों और युवकों के नाम पर तख्ता पलट हुआ। उसी तर्ज पर नेपाल में तख्ता पलट किया गया, यहां उन्हीं युवाओं का नाम 'जेन जी' दिया गया। चीन और पाक से सटी सीमा लेह लददाख में भी सोनम वांगचुग के अनशन के दौरान कांग्रेस पार्षद की अगुवाई में बवाल हुआ, लेकिन कांग्रेस ने इसका खंडन नहीं किया। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के बाद उत्तर प्रदेश के कानपुर, बरेली, मऊ में हुए उपद्रव में कथित मौलाना वाकई यह भूल गए थे कि यहां योगी का शासन है। 

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स्वामी चिन्मयानंद  ने कहा कि बरेली के दंगे में तौकीर रजा पहली बार कायदे से फंस गया है। पिछली सरकारों की ढिलाई कहें या सपोर्ट से वह मनबढ़ हो गया था। उसके बहकावे में मुट्ठी भर लोग आये और जुमे की नमाज़ के बाद इस्लामिया ग्राउंड की तरफ़ कूच कर गए, जबकि तौकीर रजा खुद वहां नहीं पहुंचा। प्रदर्शन के लिए पहले से रोक है लेकिन मोहम्मद के नाम पर धर्म को हथियार बनाने वाले इस कथित मौलाना के पीछे यदि जन समूह होता तो बदायूं जिले की सभी नौ विधान सभा सीटें मुस्लिम बहुल हैं और शाहजहांपुर के शहरी इलाके में भी इनकी संख्या अधिक है फ़िर भी दोनों जनपदों में क्यों उपद्रव नहीं हुए? इसके पीछे का राज यही है कि तौकीर रजा पश्चिमी उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा खुराफाती है। दरअसल वह मुस्लिम वोटों का सौदागर है। कोई हैरत नहीं कि इसको भी विदेशी फंड मिलता हो। उन्होंने कहा कि हिंदू भी जो 'आई लव महादेव' का पोस्टर लगाकर भगवान शिव की तुलना दूसरे धर्म के आराध्य से कर रहे हैं यह उचित नहीं है, क्योंकि 'महादेव' सर्व शक्तिमान हैं, उन्हें पोस्टर में लाकर धर्मिक प्रतिस्पर्धा का हिस्सा नहीं बनाया जाना चाहिए। कानून को अपना काम करने देना चाहिए।

कुल मिलाकर निष्कर्ष यह कि मोदी का तख्ता पलट करने की मंशा रखने वाले यूपी में योगी आदित्यनाथ के राडार पर आकर फंस गए हैं। ,,,,, क्रमशः

Kailash Singh Political Editor
कैलाश सिंह, राजनीतिक संपादक

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