पीयू का गड़बड़झाला 2: यहां शिक्षा कम, कुटिनीति से लूट होती है ज्यादा!
----------------------------------------
कैलाश सिंह/संतोष कुमार सिंह-
(विशेष संवाददाता/ब्यूरो चीफ)
----------------------------------------
-इस एपिसोड में पूर्वांचल विवि में मानक को दरकिनार कर होती रही फ़र्जी नियुक्तियों, कैंपस में अराजकता, पुरोहित गैंग से नाता और गलत कार्यों के लिए चल रही 'डर्टी पॉलिटिक्स' का मिलाजुला दृश्य सांकेतिक (शब्दचित्र) के जरिए प्रस्तुत की जा रही है।
----------------------------------------
लखनऊ/जौनपुर, (तहलका न्यूज नेटवर्क)। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय (पीयू)में एक शिक्षक की नियुक्ति में हुआ गड़बड़झाला इस बात का ठोस उदाहरण है कि यहां 'शैक्षणिक' गतिविधि को छोड़कर बाकी सबकुछ यानी 'असम्भव भी सम्भव' होता आ रहा हैl यहां की दशा इसके ही अधीन महाविद्यालयों से भी बदतर है। यदि गोल्ड मेडल भी 'बतासे' की तरह बंटता हो तो हैरत की बात नहीं है। क्योंकि जनसंचार व पत्रकारिता विभाग को ही बानगी में लें तो स्थापना काल में यहां से निकले छात्र देस के विभिन्न प्रांतों में एक समान्य मुकाम तो हासिल कर ही लिए हैं, लेकिन कालांतर के दशक में निकले अव्वल श्रेणी या गोल्ड मेडलिस्ट 'पीत पत्रकारिता' को ही अपनी मंजिल मान चुके हैं।एक बड़े संस्थान में यहीं से निकला एक पत्रकार (महिला) मेरे अधीन काम करने को तबादले के बाद मिली, वह उसी संस्थान की दूसरी यूनिट में पांच से काम कर चुकी थी। जब उसके द्वारा एडिट रूरल रिपोर्टर की कॉपी दिखी तो मूल खबर की मौत हो चुकी थी। यह है पूर्वांचल विवि कैंपस में शिक्षा हाल।
अब देखिये यहां नियुक्त शिक्षकों के शिक्षण कार्य और आचरण को: मछली में सड़न सिर से होती है, उसी तरह भ्रष्टाचार भी ऊपर से नीचे आता हैl जैसे एक मछली पूरे तालाब को गन्दा कर देती है, वैसे ही पीयू का कैंपस कचरे का दलदल बनता जा रहा हैl शिक्षा के मन्दिर में गुरु (शिक्षक) के आचार, व्यवहार, वचन और यहां तक कि पहनावे की छाप विद्यार्थियों के मानस पटल पर दर्ज होती है। यहां तो समूचा कैंपस ही 'सेक्स के तड़के वाली शराब' पीकर झूम रहा है,इसी कैंपस के शिक्षकों पर पिछले दिनों एक छात्रा ने सब्जेक्ट में नम्बर बढ़ाने के नाम पर शारीरिक शोषण के प्रयास की शिकायत पुलिस स्टेशन में दर्ज कराई थी। ऐसी तमाम घटनाएं वर्षों से होती आ रही हैं लेकिन वह आपसी सहमति से पुलिस तक नहीं पहुंचती हैं।
महामहिम की गम्भीर टिप्पणी का मतलब: पूर्वांचल विश्विद्यालय की दीवारों पर टंगी डिग्रियों पर सवालिया निशान यहां होने वाली नियुक्तियां ही लगा रही हैं।इसकी बानगी देखिये- एक शिक्षक जो अल्प अवधि में प्रोफेसर बन जाता है और फिर कुलपति का जनसंपर्क अधिकारी यानी (वीसी बटलर)बनकर समूची व्यवस्था परोक्ष रूप से खुद चलाने लगता है, लेकिन इस कैंपस की सभी दुर्व्यवस्था की पोल प्रदेश की महामहिम राज्यपाल श्रीमती आनंदी बेन पटेल के सामने तब खुल जाती है जब उन्होंने निरीक्षण के दौरान ट्रांजिट हॉस्टल (आवासीय परिवार) में शराब की बोतलें और गन्दगी देखींl इसका जिक्र उन्होंने जब अपने भाषण के दौरान किया तो प्रदेश के सभी विश्वविद्यालय संदेह के घेरे में आ गए।
पीयू में शिक्षक की नियुक्ति बनी उदाहरण: यह कथित शिक्षक 'विज्ञान संचार' के उस प्रोजेक्ट पर आया था जो 'डीएसटी' से संचालित थाl उसे मानदेय भी उसी से मिलता था। प्रोजेक्ट की अवधि समाप्त होने तक इसे विवि में नियुक्तियों से जुड़े सारे 'झोल' पता हो गए,इसके बाद इसने जुगाड़ से पीएचडी कर ली। लेकिन इस दौरान एक नेता का पीआरओ भी बन गया था उसी नेता के जरिये तत्कालीन कुलपति से रसूख बनाकर इतिहास का यह कथित पीएचडी धारक नियुक्ति नियमावली को धता बताकर पत्रकारिता का विभागाध्यक्ष बन बैठा।इसके बाद यह दलाल पत्रकारों का ठेकेदार भी हो गया,फ़िर इसके सिर पर सम्मान पाने का भूत सवार हुआ। उसी क्रम का नतीजा 31 अक्टूबर को मिलेगा जहां एक साहित्यिक कार्यक्रम का वह मुख्य वक्ता रहेगा,इसके बदले आयोजक कथित पत्रकार को इसने विवि के अधीन 604 पीजी कॉलेजों में से तमाम प्रबन्धन पर आर्थिक सहयोग के लिए दबाव बना दिया, यानी आयोजक को भी अपने साहित्यिक कार्यक्रम में 'मुख्य वक्ता' के तौर पर देश भर में कोई विद्वान नहीं मिला। ऐसा इसलिए कि 'कवि सम्मेलन' के नाम में राष्ट्रीय भी लिखा है।
पुरोहित गैंग की गतिविधि और कथित शिक्षक का आपसी रिश्ता पहले तो संक्षेप में 'पुरोहित गैंग' का मतलब जानिए। बग़ैर रजिस्टर्ड इस संस्था राष्ट्रीय अध्यक्ष एक बेसिक शिक्षक है जो ढाई दशक में अपना निलंबन कराके किसी स्कूल में सम्बधता वाले वेतन लेकर उत्तर प्रदेश में अव्वल शिक्षक बना है। इसी बीच वह एक न्यूज एजेंसी का रिपोर्टर बनकर एक पत्रकार संघ का महामन्त्री बन गया। इसके बाद 'मन फ्लैक्स' नाम की होर्डिंग, बैनर पोस्टर वाली कम्पनी खोलकर नगरपालिका को लाखों की चपत लगा दी। इससे पूर्व इस गैंग के एक मेंबर ने अंतरराष्ट्रीय ' थाई मसाज पार्लर खोल चुका था, लेकिन उस मामले की जब जांच वर्तमान डीएम के पास पहुंची तो राजनीतिक रसूख के साथ मसाज का फार्मूला भी फेल हो गया। तब इस गैंग के अघोषित उपाध्यक्ष और पीयू के कथित शिक्षक ने कमान संभाली। इसने एक कार्यक्रम में जिले के नये डीएम को पहुंचते देख उनपर 'शब्दों की ऐसी चासनी मारी' कि वह मंच पर आने से पहले ही उसकी झोली में गिर पड़े। फिर उसने नगरपालिका के टेंडर के मुख्य शिकायतकर्ता पर जाल डाला और उसे रेड क्रास सोसाइटी का प्रमुख ओहदा दिलाने के साथ टेंडर में भी परोक्ष हिस्सेदार बनवा दिया। दिलचस्प ये है कि वह भी एक डिग्री कॉलेज में कथित तौर पर शिक्षक है, लेकिन किसी न किसी अखबार से पत्रकार वाला तमगा खरीदकर इसी गैंग का प्रतिद्वंद्वी था जिसे उसका हिस्सा बना लिया। इस गिरोह में एक कथित बड़े अखबार का फोटोग्राफर इस गैंग के लिए नेताओं, अफ़सरों को ब्लैकमेल करने वाला 'वीडियोग्रफर' बन गया। महाराष्ट्र से जौनपुर में नेता बनने आये लक्ष्मी पुत्र गैंग ने संन्यासी व वरिष्ठ समाजसेवी बना दिया: अब कौन पूछेगा कि 'वरिष्ठ समाजसेवी' की डिग्री कहां से मिलती है? लेकिन पुरोहित गैंग जो इस कथित नेता से मिलने वाली रकम को खर्च करके ऐसी डिग्रियों को होर्डिंग और पोस्टर में छापकर पब्लिक की नज़र में लाता है।वही कथित वरिष्ठ समाजसेवी 31 अक्टूबर को होने वाले कार्यक्रम का भी हिस्सा बनेंगेl,,,,,,,, क्रमशः


