जौनपुर: पुरोहित गैंग के चंगुल में फंसा है पूर्वांचल विश्वविद्यालय और जिला प्रशासन!
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कैलाश सिंह/रुद्र प्रताप सिंह-
(विशेष संवाददाता/ब्यूरो चीफ़)
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-इस एपिसोड में दी जा रही बानगी उत्तर प्रदेश के अन्य विश्वविद्यालयों के लिए बानगी है, जहां बड़े पैमाने पर घपले- घोटाले और गड़बड़झाले चलते हैंl जौनपुर में पूर्वांचल विवि पर तो पुरोहित गैंग का कब्जा हैl इस गैंग के अधिकतर मेंबर 'पत्रकारिता' का खोल ओढ़कर नेताओं/अफ़सरों को ब्लैकमेल करते हैं, लेकिन इनका खबरों से कोई वास्ता नहीं रहता है, बल्कि इनके दूसरे धंधों का रंग चोखा रहता हैl इस गैंग का तआल्लुक आर्थिक अपराध से हैl महाराष्ट्र से आये एक लक्ष्मी पुत्र को गैंग ने अपनी तरफ़ से वरिष्ठ नेता तो बनाया लेकिन फार्मूला फेल होने पर उन्हें 'सन्यासी और वरिष्ठ समाजसेवी' का तमगा थमा दियाl गैंग का 'मसाज पार्लर' मिसाइल सरीखा हथियार है जो नेताओं, अफ़सरों के लिए चलता हैl
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लखनऊ/जौनपुर, (तहलका न्यूज नेटवर्क)l यूं तो पुरोहित गैंग का धन्धा 'साफ्ट' है, यानी आपराधिक नहीं, केवल धनोपार्जन का हैl धंधे का मुख्य जरिया 'मसाज पार्लर' हैl इसमें प्रमुख प्रोडक्ट सैंडविच थाई मसाज हैl इसका रिंग मास्टर (अध्यक्ष) एक बेसिक शिक्षक हैl गैंग का अघोषित उपाध्यक्ष पूर्वांचल विवि का शिक्षक, पीआरओ और जन संचार का अध्यक्ष आदि भी हैl एक दशक पूर्व यह विवि में विज्ञान संचार के प्रोजेक्ट के तहत कदम रखाl यह दीगर है कि इसका विज्ञान ही नहीं, साहित्य और पत्रकारिता से भी कोई लेनादेना नहीं हैl फ़िर भी इसका कब्जा हर क्षेत्र पर हैl आगामी चार दिन बाद एक साहित्यिक कार्यक्रम में यह मुख्य वक्ता की भूमिका में दिखेगाl इसके पास 'जलेबी की चासनी' वाली भाषा ही सारे कमाल करती हैl वर्तमान में भी हालत ये है कि इसके बग़ैर पूर्वांचल विवि का संचालन संभव नहीं हैl
दरअसल फ़र्जी या प्रायोजित सम्मान पाकर यह हमेशा गदगद भी रहता हैl जिस विभाग में यह कहने को शिक्षण कार्य करता है, उसमें छात्र इससे नहीं पढ़ना चाहते हैंl वैसे भी इसके पास समय और योग्यता भी पढ़ाने की नहीं हैl यह एक दशक पूर्व विज्ञान संचार के एक प्रोजेक्ट के जरिए विवि में कदम रखा थाl प्रोजेक्ट समाप्त होने तक इसे नियुक्तियों के तमाम झोल समझ में आ चुके थेl इसने आनन - फानन इतिहास विषय को सीढ़ी बनाकर जुगाड़ से पीएचडी कर लिया और बन बैठा जन संचार का विभागाध्यक्षl तब नए वीसी को शीशे में उतारकर यह असिस्टेंट से सीधे प्रोफेसर का तमगा ले लिया थाl अब नए वीसी को मक्खन लगाकर पीआरओ का भी पद हथिया लिया हैl हैरत तो ये है कि उद्घाटित कार्यालय दूसरे दिन से कभी नहीं खुलाl कारण वह खुद वीसी आफिस में 'हड्डा' सरीखे जमा रहता हैl
दिलचल ये है कि जिला प्रशासन पर भी इसी का कब्जा हैl इसी की पहुंच का कमाल है कि गैंग के अध्यक्ष जो कहने को इसका साढू और बेसिक शिक्षक है, लेकिन वह कभी स्कूल नहीं जाताl विभागीय निलम्बन से वेतन लेने में माहिर वह उत्तर प्रदेश में अव्वल हैl वह सारा फोकस अपने मुख्य धंधे फ्लैक्स पर करता हैl 'मन फ्लैक्स' के लाखों के बड़े घोटाले में फंसा तो जांच पहुंची जिले के बड़े नौकरशाह डीएम के पासl जहां से उसको मिल गया जीवनदानl अब किस्तों में घोटाले की कथित रकम चुका रहा हैl इसने एक साल के लाखों के टेंडर को कागज़ी खेल से 11 साल का करा लिया थाl वह पकड़ में तब आया जब वर्षो बाद उसके टेंडर वाले प्रतिद्वंद्वी खोज में लगेl तब पुरोहित गैंग के उपाध्यक्ष और विवि के कथित शिक्षक ने मुख्य शिकायतकर्ता को बनवा दिया रेड क्रास का सचिव और गैंग में भी शामिल कर लियाl जबकि वह खुद एक कॉलेज में शिक्षक हैl इस तरह उसे इतनी जिम्मेदारी का पद कैसे मिला? वह कैसे पढ़ाता और सोसाइटी की जिम्मेदारी निभाता हैl यह सवाल जिले के आमजन में उसी तरह फैला है जैसे विवि में गैंग के उपाध्यक्ष की विवादित नियुक्ति लोगों में चर्चा का प्रमुख विषय बनी रहती हैl
पूर्वांचल विवि के दामन पर बड़ा धब्बा तब लगा जब दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि आयीं प्रदेश की महामहिम राज्यपाल श्रीमती आनंदी बेन पटेल ने भाषण के दौरान जब टिप्पणी कर कर दीl उन्होंने अधिकारियों को फटकार लगाईं और कहा कि 'ट्रांजजिट हॉस्टल' में गंदगी के साथ दिख रहीं शराब की बोतलों से लगता है कि यह आवासीय परिसर नहीं, बल्कि 'विदेशी दारू का अड्डा' हैl इसी एक घटना से साबित होता है कि इस विवि की व्यवस्था, संचालन कैसा हैl यहां का जन संपर्क कार्यालय में तो उद्घाटन के दूसरे ही दिन से ताला लगा हैl यहां की लाइब्रेरी में एक शिक्षक पिता -पुत्र की लिखी ढाई सौ से अधिक एक ही विषय की पुस्तक गोडाउन सरीखे भरी पड़ी हैl फिर भी वर्तमान वीसी को उसी फ़र्जी शिक्षक पर भरोसा है जिसे वह पब्लिकली कहता भी है कि मेरा रसूख ही है कि मेरे बिना पूर्वांचल विवि का संचालन संभव नहीं हैl,,,,, क्रमशः

