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बिहार की चुनावी सियासत: दरक गया 'महागठबंधन', सीटें 243 और मैदान में हैं 254 खिलाड़ी!Tahalka Samvad

Tahalka Samvaad

 बिहार की चुनावी सियासत: दरक गया 'महागठबंधन', सीटें 243 और मैदान में हैं 254 खिलाड़ी!


 

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कैलाश सिंह-

राजनीतिक संपादक

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-ईगो की लड़ाई में राहुल गाँधी और तेजस्वी यादव के बीच की तल्खी का नतीजा है 11 सीटों पर बागी अपने ही पक्ष के प्रत्याशियों को दे रहे चुनौती, बज रहा बागियों का बिगुल, दिवाली के बाद भी फूट रहे चुनावी पटाखेl

-एनडीए का बागियों पर नियंत्रण, अमित शाह के फोन पर गाजे- बाजे से नामांकन करने पहुंचे उम्मीदवार भी लौटकर चुप्पी साध लिये, सुलगते आंतरिक असंतोष के धुएं को उनके दमखम का आईना दिखाकर दबा दिया गयाl

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दिल्ली/पटना, (तहलका न्यूज नेटवर्क)l कहते हैं 'यदि समन्दर में युद्धपोत' लड़खड़ाने लगे तो उसे तुरन्त ठीक कर लेना चाहिए, अन्यथा दुश्मन देश की नौसेना उसे पलक झपकते ही मार गिराएगीl यहां इसका जिक्र 'चुनावी समन्दर' रूपी बिहार विधान सभा चुनाव के परिप्रेक्ष्य में किया जा रहा है, जिसपर तैर रहे हैं दो ध्रुवी राजनीतिक गठबंधन रूपी युद्धपोतl पहला एनडीए है जिसने अपने लगभग दस बागियों में से कुछ को पहुंचे चुनावी समर के मुहाने से 'फोनकाल' के जरिये न जाने क्या कहकर वापस लौटा लिया कि वह कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैंl वहीं दूसरे चुनावी युद्धपोत रूपी 'महागठबंधन' का हाल यह है कि कुल 243 सीटों पर उसने 254 प्रत्याशी मैदान में उतार दिया हैl इनमें 11 अतिरिक्त खिलाड़ी तो अपनी ही टीम के प्लेयरों को मात देने को आतुर नज़र आ रहे हैंl 


इसी तरह जिन पुराने या आश्वस्त किये गए नये उम्मीदवार को टिकट नहीं मिला वह 'आन कैमरा' कुर्ता फाड़ते और बिलखते नज़र आ रहे हैंl कहने का अर्थ ये कि बिहार की जमीन पर वोटरों के सामने रोज महागठबंधन के सहयोगी दलों में टिकट को लेकर मची हाय -तौबा  और विक्री के आरोप - प्रत्यारोप में ही पहले फेज के नामांकन और उसके वापसी की डेट निकल गईl अब प्रचार करने या न करने अथवा समर्थन को लेकर पंचायत चल रही हैl जबकि 'एनडीए' कार्यवाहक मुख्य मन्त्री नीतीश कुमार के चेहरे पर चुनावी समर में उतर चुका हैl इनके स्टार प्रचारक यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ व अन्य नेताओं की भी सभाएं होने लगी हैंl दोनों गठबंधन के जीत- हार का फैसला तो आगामी14 नवम्बर को होगा लेकिन 'महागठबंधन' में मची खींचतान से आमजन की नज़र में उसके चुनावी नतीजे पर नकारात्मक असर पड़ता दिख रहा हैl


किसी भी चुवाव के होते हैं चार प्रमुख फेज: 1- चुनाव की तारीखों का ऐलान, 2- सीटों और टिकट वितरण व नामांकन, 3- प्रचार और मतदान, 4- चुनावी नतीजे यानी मतगणनाl यहां दो चरण में चुनाव हो रहा हैl सभी राजनीतिक दल दो प्रमुख ध्रुवों में बंटे हैंl पहले चरण की 121 सीटों के लिए चुनावी प्रक्रिया ने दो फेज पार कर लिए हैंl पहले खेमा में एनडीए के 10 बागियों को नामांकन से पूर्व बिहार पहुंचे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नियंत्रण में कर लिया, लेकिन दूसरा खेमा 'महागठबंधन' सीटों के गणित में उलझ गया हैl यहां कुल सीटें 243 हैं और इस खेमे से मैदान में हैं 254 उम्मीदवारl यानी 11 प्रत्याशी अधिक हैं जो अपने ही खेमे के प्रत्याशियों से ताल ठोंकते नज़र आ रहे हैंl इस खेमे की बड़ी पार्टियों में राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस असमंजस में फंसी हैं l इनके समर्थक और कोर वोटर भी उलझन में पड़े हैंl


सीटें 243 और महा गठबंधन के प्रत्याशी हैं 254: इस धड़े की दो बड़ी पार्टियों आरजेडी और कांग्रेस ने 203 सीटों पर प्रत्याशी उतार दिये हैंl इनमें 143 सीटों पर आरजेडी और 60 सीटों पर कांग्रेस को मिलाकर टोटल हुआ 203, बाकी में सीपीआई माले 20 सीट पर, अलग सीपीआई 9 और सीपीएम 4, वीआईपी 15 और आईआईपी की 3 सीटों को लेकर 254 पर यह खेमा अपने उम्मीदार उतार चुका हैl अब 11 प्रत्याशियों को चुनावी समर का अतिरिक्त योद्धा कहा जाए अथवा बागी, जिसे लेकर इस खेमे के 'कोर वोटर' भी उलझे नज़र आ रहे हैंl


महागठबंधन के दो विलक्षण गुण वाले नेता राहुल गाँधी और तेजस्वी यादव: इस खेमा यानी महागठबंधन के दरकने की शुरुआत कुछ इस तरह हुईl राहुल गाँधी बिहार विधान सभा चुनाव के बीच विदेश यात्रा पर चले गए, लेकिन वह 'क्या हासिल' कर लौटे यह कांग्रेस का कोई नेता अभी तक नहीं बता सकाl अब उनसे कौन पूछे? क्योंकि वह नेता प्रतिपक्ष भी हैंl खैर उनके आने की खबर पाकर महागठबंधन के सबसे बड़े दल आरजेडी के नेता, पूर्व डिप्टी सीएम और बिहार विधान सभा के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव दिल्ली पहुंचे राहुल गाँधी से मिलनेl एक दिन इंतजार किया लेकिन मुलाकात का समय नहीं मिलाl बाद में श्री गाँधी ने तेजस्वी यादव को बुलवा भेजा तो श्री यादव ने खुद आने की बजाय अपने करीबी संजय यादव को भेज दियाl बिहार में बढ़ी चुनावी सरगर्मी और पार्टियों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी होने के बावजूद उसे दरकिनार करके राहुल गाँधी सपरिवार छुट्टियां मनाने चंडीगढ़ और शिमला चले गएl वहां से लौटे तो रायबरेली, फतेहपुर और हरियाणा चले गए पीड़ित दलितों को खोजने ताकि उनपर सहनुभूति दिखाकर वह नरेंद्र मोदी की सरकार पर हमला कर सकेंl 

बिहार में चल रही उठा पटक के मद्देनज़र राजनीतिक विश्लेषक एस पाण्डे का कहना है कि यहां हो रहे चुनाव में दूसरे खेमे के इन दो विलक्षण गुण वाले नेताओं राहुल गाँधी और तेजस्वी यादव के बीच उनके कथित अहंकार की आंच में 'मैं बड़ा कि तू बड़ा' के चलते 'महागठबंधन' की एकता दरक गईl दोनों के क्रिया कलाप से यही अनुमान लगाया जा सकता है कि ये नेता एक- दूजे के दल को निबटाने में लगे हैं! यदि यही हाल रहा तो मतदान से पहले ही महागठबंधन की तरफ़ से एनडीए को 'वाकओवर' मिल जाए तो हैरत नहीं होनी चाहिएl,,,,, क्रमशः 

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