'बगराम एयरबेस' पर फहरा तिरंगा बना, भारत-अफगानिस्तान के रिश्तों में आई गर्माहट का गवाह, हिला अमेरिका और पाकिस्तान!
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कैलाश सिंह-
राजनीतिक संपादक
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-'इधर भी पश्तून, उधर भी पश्तून' तो 'डूरिंड लाइन का क्या मतलब और फ़िर पाकिस्तान ने क्यों तोड़ा सीज फ़ायर? सैकड़ों बेगुनाहों के साथ आठ क्रिकेटरों को क्यों मारा? इन्हीं सवालों के जवाब के लिए जमीनी लड़ाई में सिद्धहस्त आक्रोशित तालिबानी लड़ाके पाकिस्तान पर टूट पड़ेl
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लखनऊ/दिल्ली, (तहलका न्यूज नेटवर्क)l अफगानिस्तान के काबुल स्थित 'बगराम एयरबेस' पर तिरंगा लहराने की तस्वीर जब सामने आई तो एशिया की बदलती 'भू- राजनीति' का एहसास दुनिया के देशों को होने लगाl इस एयरबेस पर नियंत्रण से 'भारतीय कूटनीति और सामरिक शक्ति जीवन्त' हो उठी है, वहीं अमेरिका के लिए यह किसी तगड़े झटके से कम नहीं हैl क्योंकि इसी एयरबेस से 2001से 2021 तक यानी दो दशक अमेरिका अपने रणनीतिक और सामरिक कौशल से मध्य एशिया पर राज करता रहाl इसे छोड़कर जाते (भागते) समय एयरबेस को इतना तबाह कर दिया कि तालिबानी इसका उपयोग कभी न कर पाएं और वे लाचारी में उसी के पास लौटकर आयेंl उसने हवाई पट्टी, हैंगर को तोड़ दी, रडार सिस्टम और कंट्रोल निष्क्रिय कर दिये थेl भारत का तिरंगा लहराते देख अमेरिका को तेज़ झटका लगा और पाकिस्तान तो पस्तहाल नज़र आने लगा हैl उसे तो अफगानी सरकार के विदेश मंत्री के भारत आगमन के बाद से ही झटके दर झटके लगते जा रहे हैंl
दरअसल वर्ष 2021 में जब अमेरिकी सेना ने 'बगराम एयरबेस' छोड़ा तब समूचा अफगानिस्तान भूख से बिलबिला रहा था, इस दौरान केवल भारत सामने आयाl भारत ने वहां अनाज, दवाएं और राहत सामग्री से भरपूर सहयोग कियाl भारत की यह मानवीय सहायता इंसानियत के प्रति संवेदना के रूप में तालिबानियों के दिल में उतर गईl अफगानिस्तान ने कहा भी कि -'जब पूरी दुनिया ने हमारा साथ छोड़ दिया था तब भारत हमारे साथ खड़ा थाl' जब तालिबानी सरकार बनी उसे मान्यता देने से हर देश कतराने लगे, ऐसे में उन्हें फ़िर भारत याद आया और उन्होंने 'छद्म परस्त' पाकिस्तान से अलग हटकर भारत से दोस्ती का हाथ बढ़ा दियाl वहां के विदेश मंत्री के हफ़्ते भर की भारत यात्रा उसी का नतीजा थीl इस दौरान खनिज सम्पदा सरीखी विभिन्न संधियों के साथ अफगानिस्तान के काबुल स्थित 'बगराम एयरबेस' भी भारतीय नियंत्रण में आ गयाl यहां तिरंगा लहराने के साथ भारतीय एयरफोर्स और इंजीनियरों की टीम एयरबेस को पुनः संचालित करने में लगी हैl
अंतरराष्ट्रीय कूटनीति (डिप्लोमेसी) के जानकार और विभिन्न अखबारों में संपादक रहे 'एस पाण्डे' मानते हैं कि दुनिया के तमाम देशों पर भारतीय डिप्लोमेसी भारी पड़ रही हैl आज के समय में युद्ध के बहाने व्यापार (ट्रेड) भी चल रहा हैl इसे रूस - युक्रेन के संदर्भ में देखा जा सकता हैl भारत हमेशा से मानवतावादी रहा हैl ऐसे में वह अफगानिस्तान को कैसे भूख से बिलबिलाते देख सकता है, इसने उनकी सहायता बिना किसी अपेक्षा के कर दीl जब तालिबानियों को बात समझ में आई तो वे दोस्ती को हाथ बढ़ाए और व्यापारिक, सामरिक समझौते के साथ दोनों देशों के सम्बन्ध आगे बढ़े और उसी के तहत भारत को 'बगराम एयरबेस' मिलाl अब यहां उनके लड़ाकों को सैन्य ताकत के साथ प्रशिक्षण भी हमारी एयरफोर्स दे रही हैl
इधर बौखलाहट में पाकिस्तान ने अफगानिस्तान पर सीज फ़ायर तोड़कर हमला करके अपने लिए आफत मोल ले लीl तालिबानी लड़ाके और वहां के सैनिक पाक की मिसाइलों से डरे बिना भारी भरकम हथियार लेकर दौड़ पड़े हैंl अब उन्हें भारत से ताकत मिलनी शुरू हो गई हैl पिछले दिनों यूपी की राजधानी लखनऊ से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि पाकिस्तान तो हमारी मिसाइल 'ब्रम्होश' की जद में हैl मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यह मिसाइल हमारी सुरक्षा के साथ मित्र देशों की सुरक्षा में जरूरतों को पूरा करने में सक्षम हैl दूसरी तरफ़ पाकिस्तान अपनी तीन मिसाइलों- गजनवी, गौरी और अब्दाली के बलपर सोते- जागते भारत पर फतह हासिल करने का ख्वाब देखता रहा है, लेकिन अब वह काबुल में भी चीन से मिले फाइटर जेट से उड़ान भरने को लेकर सहम गया है, क्योंकि 'बगराम एयरबेस' पर अब भारत का नियंत्रण हैl,,,,, क्रमशः

