बिहार की चुनावी सियासत: आवाज दो- हम एक हैं: महागठबंधन
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कैलाश सिंह/संतोष कुमार सिंह-
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-आखिर कांग्रेस पर आरजेडी पड़ी भारी, तेजस्वी को सीएम चेहरा घोषित करने वाली प्रेस कॉन्फ्रेंस से राहुल गाँधी आउट, अशोक गहलोत ने किया ऐलाल- मुकेश साहनी होंगे डिप्टी सीएम, जीत हुई तो इस पद पर बाकी सहयोगी दलों से भी चेहरे आयेंगे सामने, लेकिन कांग्रेस का नहीं किया जिक्रl
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पटना/वाराणसी, (तहलका न्यूज नेटवर्क)l आखिरकार कांग्रेस ने आरजेडी नेता तेजस्वी यादव के साथ उस मुकेश साहनी के सामने घुटने टेक दिये जिसके दल का कोई भी सदस्य बिहार विधान सभा में नहीं हैl बिहार प्रभारी के तौर पर यहां पहुंचे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत ने 23 अक्टूबर को महागठबंधन की साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुख्य मंत्री चेहरा के रूप में आरजेडी नेता तेजस्वी यादव और सहयोगी दल के नेता मुकेश साहनी को डिप्टी सीएम के तौर पर ऐलान कर दियाl यह भी कहा कि जीत मिलने पर बाकी अन्य सहयोगी दलों के नेताओं को भी उप मुख्यमंत्री बनाया जाएगा, लेकिन उन्होंने कांग्रेस का नाम नहीं लियाl
अशोक गहलोत को बिहार में भेजकर कांग्रेस ने अपने नेता राहुल गाँधी और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव के बीच की तल्खी पर पर्दा डालने का प्रयास किया लेकिन प्रेस कॉन्फ्रेंस के बैनर (पोस्टर) ने उसे फ़िर बे- पर्दा कर दियाl उसपर केवल तेजस्वी यादव की ही तस्वीर लगी नज़र आई, जिसने मीडिया के जरिए आमजन तक यह संदेश दे दिया कि 'महागठबंधन' में दरार यथावत हैl यदि ऐसा न होता तो राहुल गाँधी क्यों आउट हुए? यही सवाल बिहार कांग्रेस समर्थकों के 'मन को मथ' रहा हैl
बिहार विधान सभा चुनाव प्रचार के दिलचस्प पहलू: एक तरफ़ बिहार में एनडीए के स्टार प्रचारक के रूप में जहां यूपी के सीएम 'योगी आदित्यनाथ' की दर्जनों सभाओं ने महागठबंधन के नेताओं की नींद उड़ाकर दहशत कायम कर दी है, वहीं कांग्रेस नेता राहुल गाँधी द्वारा 16 दिनी यात्रा में उछला गया मुद्दा 'वोट चोर -गद्दी छोड़' फेल हो गयाl वह विमर्श (नेरेटिव) का रूप नहीं ले पाया और न ही मतदाता गहन पुनरीक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के जरिये रोक लगाने की कोई जुगत काम आईl
टिकट बिक्री और चोरी बंद करो: बिहार चुनाव में जहां विपक्षी दलों पर आरोप- प्रत्यारोप चुनावी भाषणों का अहम हिस्सा होना आम बात है, लेकिन जब अपने ही दलों के बागी विधान सभा उम्मीदवार के लिए टिकट बेचने और चोरी के साथ भाई- भतीजावाद यानी परिवारवाद का आरोप खुलकर लगाते हुए प्रदर्शन करें तो इसे यही समझा जाएगा कि यहां तो भ्रष्टाचार सम्भावित सरकार बनने से पहले ही शुरू हो गया हैl टिकट बंटवारे के दौरान से ही महागठबंधन के प्रमुख और सहयोगी दलों में टिकट विक्री के आरोप लगने शुरू हो गए जो अब विरोध प्रदर्शन के रूप में सामने आ गए हैंl उन्हें 'बागी कहें या घर का विरोधी' लेकिन दर्जनों लोग टिकट विक्री व चोरी का नारा लिखी तख़्तियां लेकर महागठबंधन का वोट बैंक बिगाड़ रहे हैं, यह जनमानस के जेहन में दर्ज हो रहा हैl
एनडीए के सहयोगी दलों में भी टिकट को लेकर चला परिवारवाद: ऐसा नहीं है कि महागठबंधन में ही टिकट वितरण में परिवारवाद नामक बीमारी विकराल हैl इसकी चपेट में एनडीए के भी सहयोगी दल उसके मुकाबले में पीछे नहीं हैं, बल्कि यूं समझिए कि वह विपक्षी गठबंधन पर भारी पड़ेंगेl दोनों में अंतर केवल इतना है कि एनडीए ने समय रहते बागियों पर नियंत्रण पा लिया और महागठबंधन इस पर काबू नहीं पा सकाl नतीजा सामने है- कुल 243 सीटों पर खड़े हो गए 254 प्रत्याशीl यानी 11 चुनावी प्लेयर अतिरिक्त हैं जो अपने ही सहयोगी दलों से दो- दो हाथ करेंगेl इसे महागठबंधन 'फ्रेंडली मैच' का नाम दे रहा हैl
यहां जातीय गणित पर होगा चुनाव, भ्रष्टाचार का मुद्दा बेमानी: बिहार चुनाव में भ्रष्टाचार का मुद्दा बेमानी होकर रह गया हैl इसी तरह बेरोजगारी के मुद्दे पर एनडीए तो प्रचार कर रहा है, लेकिन महागठबंधन के पास दोनों मुद्दों के लिए प्लेटफार्म नहीं हैl क्योंकि इसमें सबसे बड़े दल आरजेडी के मुखिया से लेकर परिवार के कई सदस्यों पर 'चारा घोटाला और रेलवे में जमीन के बदले नौकरी' देने का केस कोर्ट में चल रहा हैl 'विकास और सुशासन' का मुद्दा तो पहले ही नीतीश कुमार अपने पाले में कर चुके हैंl रहा कानून व्यवस्था का सवाल तो यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ जो एनडीए के स्टार प्रचारक के तौर पर उत्तर प्रदेश की बानगी को अपने भाषण का हिस्सा बना लिए हैं जिससे वह विपक्षी दलों पर भारी पड़ रहे हैंl,,,,, क्रमशः
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