पीयू का गड़बड़झाला 3: यहां गुरुघंटाल के आने के बाद से समथिंग इज रांग!
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-पूर्वांचल विश्वविद्यालय के कई 'विभागों की गिनती' भी छात्र संख्या पर पड़ती है भारी,तीन साल में हुए पीएचडी अवार्ड से प्रदेश के तमाम विवि को पछाड़ कर पीयू बन गया अव्वल, विवेकानंद लाइब्रेरी तो बन गई है गोदामl
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कैलाश सिंह/संतोष कुमार सिंह-
(स्पेशल रिपोर्टर /चीफ़ रिपोर्टर)
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लखनऊ/जौनपुर, (तहलका न्यूज नेटवर्क)l उत्तर प्रदेश सरकार के अधीन संचालित जौनपुर के वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय में दशकों से सबकुछ ठीक नहीं चल रहा हैl यहीं के कथित सलाहकारों के चलते एक ईमानदार कुलपति को अपने कार्यकाल अवधि के मध्य में ही हटना पड़ा थाl लगभग एक दशक बाद वही 'इतिहास' दोहराने की स्थिति फ़िर बनती नज़र आ रही हैl यह संभावना इसलिए प्रबल दिख रही है क्योंकि तीन साल के दीक्षांत समारोह में महामहिम राज्यपाल श्रीमती आनंदी बेन पटेल के हाथों हुए 'एक हजार से अधिक पीएचडी अवार्ड' में कथित 'जनसम्पर्क अधिकारी' यानी विवि के गुरुघंटाल द्वारा 'इतिहास' में की गई पीएचडी की रफ़्तार और गुणवत्ता की गवाही देने के लिए मज़बूत बानगी हैl इसके अधीन एक छात्र जो पीएचडी कर रहा है वह मीडिया के जरिये दक्षिण के राज्यों व दिल्ली में घूम कर नौकरी कर रहा हैl उसे भी नेताओं के साथ फ़ोटो खिंचाने का चस्का हैl यानी पीयू में शोधकर्ताओं की हाजिरी (अटेंडेंस) यदि राजभवन से तलब की जाए तो कोई 'गाइड शिक्षक' नहीं दे पाएगाl इसी तरह वीसी बटलर के पास डिग्री से ज्यादा 'पदों का भार' हैl इसके अलावा पुरोहित गैंग में इसकी जिम्मेदारी राष्ट्रीय उपाध्यक्ष की हैl इस बार के दीक्षांत समारोह का दिलचस्प पहलू केवल महामहिम राज्यपाल द्वारा ट्रांजिट हॉस्टल में दिखीं 'अंग्रेजी शराब की बोतलों' पर की गई गम्भीर टिप्पणी ही नहीं है, बल्कि जिन पांच कथित शिक्षकों की कमजोरी को पर्दे में रखकर उन्हें महामहिम द्वारा सम्मानित कराया गया, उनके विभागों में छात्रों की संख्या घरों में ट्यूशन देने वाले 'ट्यूटरों वाले बच्चों' को मात करने वाली गिनती भी नहीं पूरी नहीं करती हैl एपीआई स्कोर के आधार पर सम्मानित हुए कथित शिक्षकों में शुमार वह 'महापुरुष' भी हैं, जिनकी एक ही पुस्तक की सैकड़ों प्रतियों से पीयू की 'विवेकानंद लाइब्रेरी' का अस्तित्व बदलकर 'गोदाम' में तब्दील हो चुका हैl
हालांकि विवेकानंद लाइब्रेरी मामले की जांच चल रही है जिसके परिणाम 'डोली के कहाँर' वाले मुहावरे की दशा को शर्तिया प्राप्त करेगा, क्योंकि यहां के हर विभागीय भवनों के निर्माण, पेंटिंग, यानी रेनोवेशन और सामग्रियों की खरीद फ़रोख़्त के घोटालों ने रेकॉर्ड ऐसा बनाया कि हुई जांचों में सभी घोटालेबाज साफ़ बरी हो गए। तभी तो इतिहास का पीएचडी धारक जनसंचार 'पत्रकारिता' का विभगाध्यक्ष बन गया था और आज वह इस विवि का गुरुघंटाल है। यह नाम पीयू के अधीन 604 कॉलेजों में से अधिकतर के शिक्षकों ने दिये हैं।
पुरोहित गैंग के नामकरण और इसकी खासियत: जौनपुर के बीआरपी इंटर कॉलेज के मैदान में पिछले वर्षों एक मशहूर कथा वाचक को बुलाकर हफ़्तों 'कथा वाचन' चला।इस आयोजन का उद्देश्य निः संदेह बेहतरीन व पवित्र था। आयोजकों में आरएसएस के कई अनुसांगिक संगठन भी शामिल थे। इसमें मोटी रकम खर्च करके महाराष्ट्र से जौनपुर नेता बनने आये एक 'लक्ष्मी पुत्र' आयोजकों में प्रमुख थेl यही वह दौर था जब 'पुरोहित गैंग' ने प्रचार के बहाने इन्हें 'नेता से संन्यासी' वाले रास्ते पर उतार दिया। इस कथा की खास बात यह रही कि 'पुरोहित गैंग के थाई मसाज' का संचालक इस कार्यक्रम में मुख्य पुजारी के अवतार में नमूदार था।बस यही वह दिन था जब इस गैंग का नामकरण मौजूद पब्लिक ने कर दिया
देश के हर क्षेत्र में फैले हैं गैंग के पदाधिकारी: वैसे पुरोहित गैंग के पदाधिकारी देश के हर क्षेत्र में फैले हैं, लेकिन इसका मुख्यालय जौनपुर हैl इसका राष्ट्रीय अध्यक्ष एक कथित बेसिक शिक्षक, पत्रकार, हमजातीय संगठन का संचालक, फ्लैक्स व्यवसायी हैl यह गैंग पैसे वाले उन लोगों को टार्गेट करता है जिनका 'पैशन' नेता बनाना हैl फिर तो यह गैंग अपने सारे 'पैकेज के शीशे' में उतार कर उस धनिक के पैशन का नशा उसके ही सिर का रकम रूपी बाल छीलकर उतार देता हैl यही हो रहा है लक्ष्मी पुत्र के साथl अफ़सरों व नेताओं की सेवा में थाई मसाज कारगर चल रहा हैl वर्तमान में यह गैंग लक्ष्मी पुत्र को 'वरिष्ठ समाजसेवी' का तमगा देकर दौड़ा रहा हैl इस गैंग में एक सदस्य 'वीडियो ब्लैकमेलर' भी है जो एक कथित अखबार का फोटोग्राफर हैl उसके जिम्मे अफ़सरों, नेताओं और अस्पतालों में चरने का क्षेत्रफल हैl एक अन्य व्यवसायी तो 'साइलेंट आर्थिक मन्त्री' है जो 'हमजातीय संगठन' के संचालन पर खर्च करता हैl अपने बिजनेस में ब्रांड के दाम पर 'नकली' बेचकर पैसा पीट रहा हैl अगली कड़ी में अन्य सदस्यों का भी विवरण मिलेगाl,,,,, क्रमशः

