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गुड युनिटी: गैस्ट्रो के बेहतरीन चिकित्सक को 'राजनीति का शिकार' होने से आईएमए ने बचा लिया! Tahalka Samvad

Tahalka Samvaad



 गुड युनिटी: गैस्ट्रो के बेहतरीन चिकित्सक को 'राजनीति का शिकार' होने से आईएमए ने बचा लिया! 

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कैलाश सिंह-

(तहलका संवाद टीम) 

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-सत्ताधारी दल के एक नेता और उसके अपराधी भाई ने प्रशासन से मिलकर आज ही यानी चार नवम्बर को डॉ अंकुर यादव का अस्पताल सील कराने की योजना को अंतिम रूप दे दिया था, लेकिन संघ की ताकत से आईएमए ने एक अच्छे चिकित्सक को विवादों से बाहर निकाल लियाl फ़िर भी जारी है रस्साकसीl

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लखनऊ/जौनपुर, (तहलका न्यूज नेटवर्क)l आमतौर पर मरीज और चिकित्सक के बीच का रिस्ता खराब वह लोग करते हैं जिन्हें बग़ैर फ़ीस के सबसे पहले अपने मरीज का इलाज कराना होता हैl ऐसे लोगों में राजनीतिक गठजोड़ वाले अपराधी पहले नम्बर पर होते हैंl यदि डॉक्टर ने उनके 'ईगो' को ठेस पहुंचाई तो वह अस्पताल को ही उखाड़ने में लग जाते हैंl चार नवम्बर को ऐसा ही होने जा रहा थाl कथित जांच रिपोर्ट मिलने के बाद जौनपुर के डीएम ने तीन दिन पूर्व ही राजनीतिक दबाव में इस अस्पताल को सील करने का आदेश दे दिया था, जिसका अनुपालन आज होना था, लेकिन 'आरएसएस' के एक स्वयंसेवक से मिली ऊर्जा के बाद  इंडियन मेडिकल एसोशियेशन जौनपुर आगे आया तो एक बेहतरीन चिकित्सक राजनीति का शिकार होने से बच गयाl


दरअसल हमारी टीम किसी चिकित्सक का पक्ष नहीं ले रही है और न ही उस डॉक्टर से हमारा कोई वास्ता पड़ा हैl यह रिपोर्ट उन 'आमजन' के मद्देनज़र है जिन्हें पेट की गंभीर बीमारी से जूझना पड़ता हैl इलाज़ के अलावा उन्हें दूर महानगरों तक जाके उससे चारगुना अधिक खर्च करना पड़ता हैl जबकि काली कमाई और ऊँची पहुँच वालों पर कोई फर्क नहीं पड़ता हैl


चिकित्सक भी होते हैं बड़े जगलर: अब से आठ वर्ष पूर्व यूपी में जिस दल की सरकार थी उसी से जुड़ा एक कारिंदा जौनपुर के नईगंज इलाक़े के आवासीय कालोनी में अपना अस्पताल मानक को दरकिनार करके चलाता है और खुद को जिले का 'मिनी सीएम' घोषित कर रखा थाl इतना ही नहीं, वह तो एक कमरे में पैरामेडिकल कॉलेज भी चलाता हैl सत्ता बदले आठ साल हो चुके हैं लेकिन किसी नेता, जिला प्रशासन और स्वास्थ्य प्रशासन की हिम्मत नहीं है कि उसके यहां कोई कदम भी रख सकेl


कटघरा कलीचाबाद में है वह अस्पताल जिसे सील करने का था आदेश: डॉ अंकुर यादव चिकित्सक के रूप में बेहतरीन हैंl उनके पास गैस्ट्रोलॉजी में 'एम डी- डीएम' की डिग्री के साथ उनकी डाइनोसिस अच्छी मानी जाती हैl उन्होंने सामान्य फ़ीस प्रति मरीज एक हज़ार और आपातकालीन के लिए 1500 रुपये रखी हैl वह हर मरीज के लिए ओपीडी का क्रम बनाए रखते हैंl लेकिन आमजन के अनुसार वह 'गरीबी और गरीबों' से वास्ता नहीं रखते हैंl उनका व्यवहार भी सख्त है, कुछ तो उन्हें घमण्डी भी कहने से गुरेज नहीं करते हैंl


डॉक्टर इस तरह फंसे 'नेता- अपराधी' बंधुओं के जाल में: डॉ अंकुर यादव नेता और अपराधी बंधुओं के जाल में तब फंसे जब दिवंगत माफिया बजरंगी के गुर्गे का फोन आयाl उसने अपने रिश्तेदार महिला मरीज को बग़ैर फ़ीस लिए देखने की बात कहीl जब उसकी बात का वजन डॉक्टर ने नहीं दिया तब उसने अपने सगे भाई जो सत्ताधारी दल के कथित नेता हैं उनसे कहलवायाl इनको भी डॉक्टर ने तवज्जो नहीं दियाl फ़िर तो नेता कुपित हो गएl उन्होंने डीएम से कहकर एक डिप्टी सीएमओ और सिटी मजिस्ट्रेट की टीम लगाकर जांच करा लीl टीम को वहां कोई 'झोल' नहीं मिलाl इस डॉक्टर का अस्पताल किराए के भवन में दो मन्जिल पर चलता हैl टीम ने बेसमेंट को लपेटा तो चिकित्सक ने वहां की व्यवस्था समेट लीl बावजूद इसके टीम की कथित रिपोर्ट पर अस्पताल को सील करने का आदेश छुट्टी के दिन दे दिया गया थाl,,,,,, क्रमशः

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