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कैलाश सिंह-
राजनीतिक संपादक
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-बिहार का यह चुनाव बदलाव के साथ बनेगा नज़ीर, इसका असर पश्चिम बंगाल व यूपी समेत अगले दो साल में जिन प्रांतों में होना है विस चुनाव, वहां की भी दशा और दिशा बदलने का आधार माना जा रहा हैl
-बिहार में दूसरे और आखिरी चरण के लिए चुनाव प्रचार थमा, 11 नवम्बर को 20 जिलों की 122 सीटों के लिए होगा मतदान, एनडीए की उम्मीद बनीं महिलाएं, महागठबंधन का भरोसा युवाओं पर टिकाl
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पटना/वाराणसी, (तहलका न्यूज नेटवर्क)l बिहार विधान सभा के दूसरे और आखिरी चरण के लिए रविवार को प्रचार अभियान थम गयाl 11 नवम्बर को यहां बीस जिलों की 122 सीटों पर मतदान होगाl प्रचार अभियान में पक्ष और विपक्ष के स्टार प्रचारकों की धुँवाधार सभाएं एक -दूसरे पर भारी पड़ती नज़र आईंl सभाओं में जुटी भीड़ से किसी की जीत- हार का आकलन करना 'बेमानी' साबित होगा, क्योंकि खासकर यूपी और बिहार में कम्युनिस्ट पार्टियों की सामान्य सभाओं में दिखने वाली भीड़ कभी वोट में तब्दील नहीं हुईl
इस तरह सीमांचल में फंसा विपक्ष: 'तहलका संवाद' के दो सीनियर रिपोर्टर 'संतोष कुमार सिंह और प्रशांत त्रिपाठी' ने ग्राउंड जीरो से जो महसूस किया उसके मुताबिक विपक्ष की गाड़ी सीमांचल में कायदे से फंसी हैl हालांकि इससे उबरने को महागठबंधन ने 'नहले पर दो दहले' मार दिये, मुस्लिम बेल्ट में उनके तुरुप के ये पत्ते यूपी से 'इमरान प्रतापगढ़ी और इकरा हसन' रहे, जिन्होंने ओवैसी को अपनी सभाओं में जुटी भीड़ के जरिए तगड़ा जवाब दियाl यदि दोनों पक्षों के भारी पड़ने का पैमाना 'सभाओं की भीड़' को माना जाए तो भी मुस्लिम वोटर दो भागों में विभक्त नज़र आयेंगेl यानी भाजपा की रणनीति के मद्देनज़र उसकी मंशा को उम्मीद का आकार मिलता दिख रहा हैl
प्रशांत किशोर पक्ष - विपक्ष दोनों का काटेंगे वोट: कहावत है कि युद्ध में किसी को कमजोर नहीं माना जाता है, क्योंकि ताकतवर को अपने शस्त्र बल पर भरोसा होता है, लेकिन जिसे कमजोर समझा जाता है वह अपने अस्तित्व को बचाने के लिए लड़ता है, जैसे 'रूस और युक्रेन' युद्ध को उदाहरण माना जा सकता हैl उसी नजरिये से प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी को देखा जा सकता हैl एक वक्त था जब वह पक्ष की पार्टियों के 'चुनाव प्रबन्धक' रहे और आज खुद दोनों प्रमुख गठबंधन के लिए 'आँख की किरकिरी' बने हैंl यह दीगर है कि वह खुद मैदान में नहीं हैं, इसके लिए उन्होंने शायद अरविंद केजरीवाल का फार्मूला अपनाया हैl हालांकि वह एक साल पूर्व से जन संपर्क के जरिए चुनाव की तैयारी में जुटे थेl उनका लक्ष्य -'18 से 28 साल' के युवा थे, जिसपर राजद के तेजस्वी की नज़र पहले से थीl नीतीश और भाजपा की नज़र में पिछड़े, अति पिछड़े, आदिवासी, गरीब किसान- मजदूरों को ध्यान में रखकर प्रशांत किशोर ने भी जमकर मेहनत की थी जिसका परिणाम मतगणना के बाद मिलेगा लेकिन इतना तय माना जा रहा है कि वह पक्ष- विपक्ष दोनों को चोट पहुंचा सकते हैंl
यह चुनाव जाति पर आधारित रहा, पर हैरतअंगेज बदलाव लायेंगे युवा और महिला वोटर : इस चुनाव के पहले फेज में हुई 64 फीसदी से अधिक बम्पर वोटिंग ने जहां चार दशक पूर्व के रिकार्ड तोड़ते हुए नया इतिहास रच दिया, वही स्थिति दूसरे फेज में हुई तो हैरतअंगेज बदलाव का कीर्तिमान ' युवा और महिलाओं' के नाम संभावित हैl




