धन उगाही उत्सव: एक माननीय के तागादा से आमजन भी त्रस्त!
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के.एन. सिंह/ प्रशांत त्रिपाठी-
सलाहकार संपादक/ब्यूरो चीफ
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-सामूहिक विवाह के नाम पर वसूली से होता है 'बहू विवाह'l
-पिछले साल हुए सामूहिक विवाह में भाई- बहन और देवर- भाभी भी बन गए जोड़े।
-एक दिन के पशु मेला का माननीय को मिलता है एक लाख।
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जौनपुर/वाराणसी, (तहलका न्यूज नेटवर्क)। उत्तर प्रदेश के पर्वांचल का जौनपुर जनपद 'महोत्सव' के नाम पर सुर्खियों में आया लेकिन 'तगादा वसूली' के चलते यह 'धन उगाही उत्सव' बनकर रह गया है। इस वसूली अभियान से समूचे जिले के अफ़सर ही नहीं, सभी विभाग, दुकानदार, निजी अस्पताल, पुलिस, तहसील, ब्लाक और प्रधान- कोटेदार भी एक महीने से हलकान हैं। सरकारी दफ्तरों पर तो दो से पांच लाख का निजी टैक्स लगा है।
लोगों के गले की फांस बना महोत्सव: यह कथित महोत्सव लोगों के लिए गले की फांस बन गया है। कार्यक्रम नवम्बर के पहले हफ़्ते के शुरुआती तीन दिन चलेगा, लेकिन हफ़्ते भर से चल रही सजावट पर 'तूफान मोथा' ने पानी फेर दिया है। फ़िर भी वसूली पर कोई असर नहीं पड़ा है, गोकशी को लेकर प्रदेश के मुख्यमन्त्री योगी आदित्यनाथ आठ साल से सख़्त हैं, लेकिन उनकी आँख में धूल झोंकने में माहिर यह कथित 'माननीय' इस मद से हर महीने एक लाख रुपये केवल एक दिन के मेले का वसूलते हैं। पटैला बदनाम हुआ तो फत्तूपुर बना पशु मेला का ठीहा: दुधारू और किसानी के नाम पर लगने वाले इस मेला से अधिकतर मवेशी स्लाटर हाऊस का रास्ता नापते हैंl पुलिस भी चुप्पी साधकर अपना 'कट' लेकर किनारे हो जाती है, क्योंकि योगी राज के इस माननीय से कौन पंगा ले? खैर, अब जानिए पटैला बदनाम क्यों हुआ? दरअसल यहां कटने वाले पशुओं को लाने और मांस को अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक पहुंचाने में बढ़ती जा रही ट्रकों की संख्या ने एक वाहन कम्पनी का ध्यान खींचा तो उसने अपनी एजेंसी से सर्वे कराया, तब इसकी पोल खुली। 2017 में जब योगी सरकार बनी तो इस मेले का उठान हो गया, लेकिन एक माननीय की 'गिद्ध नज़र' पहले से मोटी रकम पर थी लिहाजा उन्होंने मेले का स्थान बदल दिया और खुद इसके ठेकेदार बन गए।
लंबा टीका, माधुरी बानी, दगाबाज की यही निशानी: इन कथित माननीय के लिए उपर्युक्त कहावत वर्षों से जिले में मशहूर है। एक व्यक्ति द्वारा लिखी कहावत - 'कर्म की दौलत' का मंतव्य ये है कि जिस तहखाने की चाबी राजा और मन्त्री के पास थी उसी में राजा बंद हो गएl गलतफहमी में मन्त्री ने खुला जानकर बाहर से ताला लगा दिया था। उसमें अकूत संपत्ति हीरे- जवाहरात भी राजा को अन्न जल नहीं दे सके और भूख - प्यास से दम तोड़ दिये।
पूर्व विवाहित जोड़ों से खुली सामूहिक विवाह की पोल: माननीय के कुख्यात हो रहे महोत्सव की पोल पिछले साल हुए पूर्व विवाहित बे- मेल जोड़ों के चलते खुली। मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के तहत समाज कल्याण विभाग ने केवल 151 जोड़ों के लिए 50-50 हजार रुपये प्रदान किये, जबकि संख्या बढ़कर तीन सौ का आंकड़ा छू गई थी, अब जिन्हें पैसा नहीं मिला वह थककर मीडिया की शरण में पहुंच गए और पोल खुल गई।
दलाल पत्रकारों को मिल गई दिहाड़ी: महोत्सव की पूर्व संध्या पर दलाल मीडिया कर्मियों को माननीय ने दिये एक- एक हजार की दिहाड़ी, आश्वासन भी दिया कि खबरों से महोत्सव का इतना प्रचार करिए कि यह प्रदेश भर में सुर्खियों में आ जाए। सभी को कार्यक्रम के दौरान दारू और मुर्गे के साथ तीनों दिन लिफ़ाफ़े भी मिलेंगे।,,,,,, क्रमशः

