ऑपरेशन यमराज: भवन एक, अस्पताल तीन, कंक्रीट की इमारत बनीं मोबाइल वैन!
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के एन सिंह/ संतोष कुमार सिंह
सलाहकार संपादक/ ब्यूरो चीफ
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-कथित न्यूरो स्पेशलिस्ट, मरीज की बजाय तीमारदारों की काटते हैं 'आर्थिक नस', कुछ तो हर बीमारी के अकेले विशेषज्ञ हैं, यानी 'हर इलाज की दूकान' सजाए हैं, संचालन में दलालों का अहम योगदानl
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जौनपुर/वाराणसी, (तहलका न्यूज नेटवर्क)l मेडिकल स्कैम यानी जांच के जरिए बीमारियां पैदा करने का उपाय पूर्वांचल के निजी चिकित्सकों ने अरसे पूर्व खोज लिया था, उसका मुख्य केन्द्र वाराणसी की दवा, पैथालाजी, उपचार मंडी बनींl इस एपिसोड में दी जा रही बानगी जौनपुर की है जो कमोबेस पूर्वांचल ही नहीं, प्रदेश के हर शहर की चिकित्सा व्यवस्था की कलई खोलने के लिए पर्याप्त है, क्योंकि सुबूत के तौर पर भुक्तभोगी 'तहलका संवाद' के सलाहकार संपादक केदार नाथ सिंह खुद हैंl यहां कंक्रीट के किराए वाले भवन मोबाइल वैन सरीखे काम करते हैं, ऐसी भी बिल्डिंग हैं जिसमें तीन- तीन नर्सिंग होम संचालित हैं मालशॉप की तर्ज पर, यानी कोई भी मरीज उस कैंपस से वापस न जाने पाएl यहां फिजिशियन भी हार्ट खोलने का माद्दा रखते हैंl किसी प्रसूता का पेट चीरना तो इनके बाएं हाथ का खेल हैl
सीसीटीवी से भर्ती किए जाते हैं मरीज: जौनपुर के नईगंज के पहले मोड़ पर किराए के भवन में जो कुख्यात नर्सिंगहोम है उसकी स्थापना कोरोना काल में तब हुई जब मेडिकल छात्रों को भी बग़ैर इंटर्नशिप व सेशन वाली परीक्षा दिये डिग्री थामा दी गईl उसी में बीएचयू से पास आउट यह कथित जूनियर डॉक्टर भी न्यूरोलॉजी की दुकान खोलकर हर बीमारी का स्पेशलिस्ट बन बैठाl इसके यहां जनरल वार्ड की तरह आईसीयू के मरीज आज भी भर्ती होते हैंl एक दिन का वाकया तो खासा दिलचस्प हैl हुआ यह कि दुर्घटना का शिकार मरीज होश में था और सिर में चोट की दर्द से तड़प रहा थाl नर्सें कैरम खेल रहीं थीं और कथित डॉक्टर ऑपरेशन में बिजी थे, लिहाजा दो वार्ड ब्वाय यमदूत सरीखे पहुंचे और उस मरीज को केहुनी से मारने लगे जब वह गोरु की तरह डकारने लगा तब अन्य मरीज और तीमारदार सहम गए, लेकिन भर्ती पत्रकार की पत्नी श्रीमती पुष्पा सिंह ने ऐतराज करते हुए कहा- क्यों मार रहे हो मरीज को तो जवाब मिला चाची आप नहीं जानती हैं, हादसे में इसके सिर में लगी चोट ने इसे 'पागल' कर दिया हैl पिटाई ही इसका प्राथमिक इलाज हैl ऐसा करने को डॉक्टर साहब बोले हैंl आप को दीवारों पर लगे बोर्ड नहीं दिख रहे जिसमें मंडल के आई जी द्वारा दिये गए निर्देश लिखे हैं कि अस्पताल कर्मियों के काम में कोई तीमारदार या बाहरी का हस्तक्षेप करना अपराध की श्रेणी में आता हैl
नईगंज व कटघरा में ऐसे अनोखे अस्पतालों की भरमार: दिलचस्प ये है कि इस कथित अस्पताल के वाहन स्टैंड प्रदेश की राजधानी को जाने वाले हाईवे पर है, और भी दर्जनों अस्पताल हैं जिनके वाहन स्टैंड सड़क पर हैंl पुलिस को ये अस्पताल हफ़्ता देते हैं तभी तो यह व्यवस्था अनवरत संचालित हैl मरीजों की भीड़ दलालों के भरोसे हैl जिला अस्पताल के मरीजों को 'महुआ' की तरह बीन लिया जाता हैl अधिकतर अस्पतालों में खुद की एमआरपी वाली दवाएं 'दस गुना' दाम पर बेची जाती हैंl कई डॉक्टरों ने तो दवा कम्पनी खोल रखी हैl ये फ्रेंचाइजी कम्पनी उनके एक कमरे में उसी तरह चलती चलती हैं जैसे कुछ के पैरामेडिकल कॉलेज एक रूम में चलाए जाते हैंl यानी सबका निर्देशन व नकल वाया वाराणसी होता हैl
जब एक बार फंसा दवा विक्रेता यानी 'एमआर': - सिटी स्टेशन रोड पर एक एमआर उस कथित अस्पताल में भर्ती हुआ जहां वह अपनी कम्पनी की दवा बेचने जाया करता थाl उसे जो इंजेक्शन लगाया जा रहा था वह खुले मार्केट में डेढ़ सौ का मिलता था लेकिन यहां वसूली साढ़े सात सौ हो रही थी, उसने डॉक्टर से निवेदन किया कि मैं बाहर से मंगा लूं पर मना कर दिया गयाl इस तरह 'कार्पोरेट और मल्टी स्पेशियलिटी' वाले अस्पतालों की यहां भरमार है उनके खिलाफ जिला प्रशासन और स्वास्थ्य महकमा पंगु नज़र आता हैl
नईगंज और कटघरा इस तरह बने हैं इंसानी स्लाटर हाऊस: वैसे तो इस जिले में हर कोने पर गिद्ध नज़र गड़ाए धरती के भागवान जमे हैं लेकिन शहर के नईगंज एवं कटघरा इलाके स्लाटर हाऊस बनते जा रहे हैंl यहां अच्छे जानकार डॉक्टर जैसे 'अंकुर यादव' जिसे आईएमए ने पिछले दिनों प्रशासन के कोप से बचाया था वह तो 'मानवता लेस' हैl हमारे ही मीडिया वेंचर में इसकी खबर छपी थी जिसपर आमजन की मिली प्रतिक्रिया से यही लगा कि यह पैसा कमाने वाला इंसान नहीं, 'रोबोट' हैl इसका विस्तार अगली कड़ियों में मिलेगा, पहले ये जानिए कि यहां एक भवन में तीन- तीन अस्पतालों का जो करिश्मा है वह विरले ही कहीं मिलेगाl लेकिन इस इलाके में हैं ऐसे तमाम अस्पताल लेकिन स्वास्थ्य विभाग कान में तेल और आँख में आई ड्राप डालकर सोया हैl,,,, क्रमशः

