BREAKING

अब पश्चिम बंगाल व यूपी का इम्तिहान: बिहार के बहाने उत्तर प्रदेश में शुरू हो गई राजनीति! Tahalka Samvad

Tahalka Samvaad

 अब पश्चिम बंगाल व यूपी का इम्तिहान: बिहार के बहाने उत्तर प्रदेश में शुरू हो गई राजनीति! 


----------------------------------------

कैलाश सिंह-

राजनीतिक संपादक

----------------------------------------

-भाजपा की मेगा रणनीति का प्रयोग बिहार चुनाव में हुआ सफ़ल, पटना के गाँधी मैदान में शपथ ग्रहण समारोह के जरिए पार्टी ने दिया बड़ा संदेशl

-बंगाल में ठीक से एसआईआर हुआ तो एक करोड़ों वोटर होंगे कम, जिनमें सर्वाधिक घुसपैठिए हैं, यही वोटर बने थे ममता बनर्जी की सत्ता की रीढ़l

----------------------------------------

पटना/लखनऊ/ कोलकाता, (तहलका न्यूज नेटवर्क)l हरियाणा, महाराष्ट्र फ़िर दिल्ली और अब बिहार की जीत ने जहां भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बेहतर तालमेल का उदाहरण प्रस्तुत किया है, वहीं पार्टी की 'मेगा रणनीति' का बिहार चुनाव में हुए प्रयोग की सफलता ने आगामी दो साल में होने वाले दो राज्यों पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश की फतह का भी संकेत दे दिया हैl बंगाल में सत्ताधारी दल तृणमूल कांग्रेस की नेता ममता बनर्जी जहां 'मतदाता गहन पुनरीक्षण' (एस आई आर) को लेकर खौफ़ में हैं, वहीं उत्तर प्रदेश में बड़े विपक्षी दल समाजवादी पार्टी के सुप्रीमों अखिलेश यादव बिहार में तेजस्वी और आरजेडी की दशा देखकर दहशत में आ गए हैंl इस तरह बिहार के बहाने यूपी में तो राजनीति शुरू हो गई हैl


दरअसल बिहार विधान सभा के चुनाव परिणाम ने जहां 2010 के चुनावी नतीजे का इतिहास दोहराया है, वहीं देश के किसी भी राज्य का 'दस बार मुख्य मन्त्री पद की शपथ' लेने का रिकार्ड भी नीतीश कुमार के नाम दर्ज हो गया हैl राजनीतिक विश्लेषक एस. पाण्डे के मुताबिक इस चुनाव में विपक्षी दलों के तमाम मुद्दे ध्वस्त हो गएl कांग्रेस नेता राहुल गाँधी और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव की जोड़ी बीच चुनाव में ही टूट गईl पिछले चुनाव 2020 में असदुद्दीन ओवैसी के जीते पांच माननीयों को राजद ने तोड़ लिया था, लेकिन ओवैसी हार नहीं माने और इस चुनाव में फ़िर पांच सीटें फतह कर लीl इस तरह मुस्लिम वोटबैंक बिखर गया और महिला वोटरों पर मोदी- नीतीश का सिक्का चलाl युवा और बेरोजगारों को आकर्षित करने में प्रशांत किशोर भी फेल हो गए, परिणाम स्वरूप एनडीए विपक्षी दलों की कमजोरी और अपनी रणनीति के बलपर बिहार का किला एक बार फ़िर फतह कर लियाl


महागठबंधन के लिए फ्रेंडली फाइट और राहुल- तेजस्वी की जुदा राहें बनीं घातक: सीट बंटवारे से लेकर चुनाव प्रचार तक दो युवा नेताओं की टूटी जोड़ी का गवाह उनकी जुदा राहें बनीं, यही कोर वोटरों को भटकने के लिए रास्ता भी दे गईl यह विघटन महागठबंधन के बड़े दलों राजद और कांग्रेस के लिए घातक साबित हुआl राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक चुनावी बयार में लगा कि दोनों नेता एक- दूसरे दलों को ही पटखनी देने में लगे हैंl यही हवा एनडीए की ठोस रणनीति में आक्सीजन सरीखे काम कर गईl


भाजपा ने देशभर के अपने नेताओं का उपयोग बिहार में करीने से किया: चुनाव के दौरान भाजपा ने बिहार में देशभर के अपने बड़े नेताओं को जातिगत समीकरण के तहत उतारकर विपक्षी गठबंधन को हर स्तर पर मात दियाl उसने जन सुराज के प्रशांत किशोर के टारगेट रहे युवा और बेरोजगारों को भी अपनी तरफ खींचकर उन्हें यह बता दिया कि 'खुद चुनाव लड़ने और रणनीति बनाने' में क्या अन्तर होता हैl बिहार के जंगलराज का जवाब योगी आदित्यनाथ के बुलडोजर ने दे दियाl उनका हिंदुत्व कार्ड भी तुष्टिकरण के लिए करारा जवाब साबित हुआl यहां सपा सुप्रीमों अखिलेश यादव का पीडीए फार्मूला भी फेल हो गयाl अब यूपी लौटकर वह इस फार्मूले को सुदृढ़ करने और ओवैसी का भी तोड़ खोजने में जुटे हैंl वह बिहार में कांग्रेस नेता राहुल गाँधी के रवैये को यूपी के मद्देनज़र पुनर्विचार में लगे हैंl


एसआईआर का खौफ़ बंगाल की ममता को सता रहा: पश्चिम बंगाल की मुख्यमन्त्री और तृणमूल कांग्रेस की नेता ममता बनर्जी को एसआईआर किसी मिसाइल से कम नज़र नहीं आ रहा हैl यहां के कई इलाकों में चल रहे 'मतदाता गहन पुनरीक्षण' के कार्य में लगे कर्मियों को लाखों वोटरों के बीच सैकड़ों के ही भरे फार्म वापस मिल रहे हैंl बाकी वोटर 'गधे के सिर की सींग' सरीखे लापता नज़र आ रहे हैंl बताया तो यहां तक जा रहा है कि लाखों बांग्लादेशी घुसपैठी अपने मूल देश की सीमा का रुख कर रहे हैंl इनकी संख्या एक करोड़ से अधिक आंकी जा रही हैl यही वोटर ममता बनर्जी की सत्ता में रीढ़ बने हुए थेl

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!